यूपी में स्कूल में नाबालिग लड़की की मौत का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग करने वाली मां की याचिका पर नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
8 Dec 2021 10:49 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक बोर्डिंग स्कूल में एक नाबालिग लड़की की मौत के मामले में यूपी और हरियाणा से सीबीआई या दिल्ली पुलिस को जांच स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
वर्तमान मामला एक 14 वर्षीय लड़की की मौत से संबंधित है। उक्त लड़की कथित तौर पर 2020 में अपने बोर्डिंग स्कूल की कक्षा में लटकी हुई पाई गई थी। मृतक लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि यह बलात्कार और हत्या का मामला है।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एएस ओका की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका में निर्देश जारी किया जिसमें यूपी और हरियाणा में स्थानीय पुलिस से सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया गया था।
दो एफआईआर के संबंध में स्थानांतरण की मांग की गई है - एक यूपी में हत्या और नाबालिग लड़की (याचिकाकर्ता की बेटी) के कथित बलात्कार के लिए और दूसरी हरियाणा में उसके माता-पिता और दो भाई-बहनों के अपहरण के लिए दर्ज की गई है।
याचिकाकर्ता मृतक लड़की की मां ने तर्क दिया कि इस मामले में उसकी नाबालिग बेटी के खिलाफ कथित बलात्कार और हत्या का एक जघन्य अपराध शामिल है। इसके बाद उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपराधों की एक निरंतर श्रृंखला शामिल है, जैसे कि नोएडा से हरियाणा में दिल्ली के रास्ते उनका अपहरण करना।
लड़की के परिवार के अनुसार, स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल बुलाया और जब वे पहुंचे तो उन्होंने पांच अन्य लोगों के साथ उनका फोन छीन लिया ताकि वे तस्वीरें न लें और न ही पुलिस को फोन कर सकें। फिर उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी मर चुकी है और उन्होंने अपनी बेटी को एक कक्षा में छत से लटका दिखाया।
याचिका के अनुसार, लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें धोखे से एक कक्षा में बंद कर दिया गया और उन्हें कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। साथ ही पुलिस को बुलाए बिना या पोस्टमार्टम किए लड़की के शरीर का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, धमकी दी कि अगर वे शोर करते हैं तो उसी स्कूल में पढ़ने वाले उनके दूसरे बच्चों को इसी तरह के परिणाम भुगतने होंगे।
लड़की के परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि उसी शाम को दो गुंडों ने प्रिंसिपल के निर्देश पर उनका अपहरण किया। उनसे कहा गया कि अगर वे शोर करते हैं तो उन्हें मार डाला जाएगा। अंत में उन्हें हरियाणा में छोड़ दिया गया।
याचिका के अनुसार, यूपी और हरियाणा दोनों में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने से पीड़ित लड़की के परिवार ने जांच को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि प्रिंसिपल और अन्य आरोपियों ने नाबालिग लड़की की जान बचाने के लिए पुलिस और किसी डॉक्टर को सूचना न देकर क्रूर, बर्बर और अपमानजनक कृत्य किया और शव को क्लास रूम में लटकाए कर रखा।
याचिका में कहा गया,
"अपराध जो कथित बलात्कार और फिर एक नाबालिग लड़की की हत्या के साथ शुरू हुआ और उसके बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 495, 120बी, 380, 365 और धारा 506 के तहत माता, पिता, नाबालिग बहन और मृतक लड़की के भाई के खिलाफ अन्य अपराध हुए।"
जांच के हस्तांतरण की मांग यह तर्क देते हुए की गई कि वर्तमान मामले में शामिल अपराध की श्रृंखला तीन राज्यों यूपी, हरियाणा और दिल्ली के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर की गई है।
मृतक नाबालिग लड़की की मां ने कानून के निम्नलिखित प्रश्न उठाते हुए सीबीआई या कुछ अन्य स्वतंत्र एजेंसियों से जांच की मांग की है:
1. स्कूल की ओर से पुलिस को नाबालिग की मौत की सूचना क्यों नहीं दी गई।
2. नाबालिग की हत्या के बाद आरोपी ने पुलिस की सलाह पर काम किया या नहीं, इसकी जांच हो।
3. नाबालिग का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया?
4. पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें एक निजी फोरेंसिक लैब से एक सुसाइड नोट मिला था, जो याचिकाकर्ता के अनुसार यह स्पष्ट करता है कि एक अप्राइवेट लैब की मदद से एक नकली सुसाइड नोट बनाया गया।
5. दोनों एफआईआर में पुलिस ने स्कूल का सीसीटीवी फुटेज या आरोपी का कॉल रिकॉर्ड क्यों नहीं जुटाया?
6. दोनों एफआईआर में 164 का बयान क्यों दर्ज नहीं किया गया और किसी आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
केस शीर्षक: एक्स बनाम हरियाणा राज्य और अन्य