यूपी में स्कूल में नाबालिग लड़की की मौत का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कथित बलात्कार और हत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली मां की याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

8 Dec 2021 5:28 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक बोर्डिंग स्कूल में एक नाबालिग लड़की की मौत के मामले में यूपी और हरियाणा से सीबीआई या दिल्ली पुलिस को जांच स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

    वर्तमान मामला एक 14 वर्षीय लड़की की मौत से संबंधित है, जो कथित तौर पर 2020 में अपने बोर्डिंग स्कूल की कक्षा में लटकी हुई पाई गई थी।

    मृतक लड़की के परिवार ने आरोप लगाया है कि यह बलात्कार और हत्या का मामला है।

    न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एएस ओका की खंडपीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका में निर्देश जारी किया, जिसमें यूपी और हरियाणा में स्थानीय पुलिस से सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया गया था।

    दो प्राथमिकी के संबंध में स्थानांतरण की मांग की गई है- एक यूपी में हत्या और नाबालिग लड़की (याचिकाकर्ता की बेटी) के कथित बलात्कार के लिए और दूसरी हरियाणा में इसके माता-पिता और भाई-बहनों के अपहरण के लिए दर्ज की गई है।

    याचिकाकर्ता, जो मृतक लड़की की मां है, ने तर्क दिया है कि इस मामले में उसकी नाबालिग बेटी के साथ कथित बलात्कार और हत्या का एक जघन्य अपराध किया गया है, जिसके बाद उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपराधों की एक निरंतर श्रृंखला शामिल है, जैसे कि नोएडा से हरियाणा में दिल्ली के रास्ते उनका अपहरण करना।

    लड़की के परिवार के अनुसार स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल बुलाया और एक बार जब वे पहुंचे, तो उन्होंने पांच अन्य लोगों के साथ उनका फोन छीन लिया ताकि वे तस्वीरें न लें और न ही पुलिस को फोन करें।

    फिर उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी मर चुकी है और अपनी बेटी को एक कक्षा के छत से लटका पाया।

    याचिका के अनुसार, लड़की के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें गलत तरीके से एक कक्षा में बंद कर दिया गया और उन्हें कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया, और पुलिस को बुलाए बिना या पोस्टमार्टम किए लड़की के शरीर का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया, इस धमकी के तहत कि अगर वे शोर करते हैं तो उनके दूसरे एक ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को इसी तरह के परिणाम भुगतने होंगे।

    लड़की के परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि उसी शाम को दो गुंडों ने प्रिंसिपल के निर्देश के तहत उनका अपहरण कर लिया था। मार डालने की धमकी दी और अंत में उन्हें हरियाणा में छोड़ दिया गया।

    याचिका के अनुसार, यूपी और हरियाणा दोनों में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने से पीड़ित लड़की के परिवार ने जांच को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि प्रिंसिपल और अन्य आरोपियों ने नाबालिग लड़की की जान बचाने के लिए पुलिस और किसी डॉक्टर को सूचना न देकर क्रूर, बर्बर और अपमानजनक कृत्य किया और शव को क्लास रूम में लटका कर रखा।

    याचिका में कहा गया है,

    "अपराध जो कथित बलात्कार और फिर एक नाबालिग लड़की की हत्या के साथ शुरू हुआ और इसके बाद आईपीसी 495, 120 बी, 380, 365, 506 जैसे अन्य अपराध माता, पिता, नाबालिग बहन और मृतक लड़की के भाई के खिलाफ हुआ।"

    जांच के हस्तांतरण की मांग यह तर्क देते हुए की गई है कि वर्तमान मामले में शामिल अपराध की श्रृंखला तीन राज्यों, यूपी, हरियाणा और दिल्ली के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर की गई है।

    मृतक नाबालिग लड़की की मां ने कानून के निम्नलिखित प्रश्न उठाते हुए सीबीआई या कुछ अन्य स्वतंत्र एजेंसियों से जांच की मांग की है;

    - स्कूल की ओर से पुलिस को नाबालिग की मौत की सूचना क्यों नहीं दी गई।

    - नाबालिग की हत्या के बाद आरोपी ने पुलिस की सलाह पर काम किया या नहीं,इसकी जांच।

    - नाबालिग का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया।

    - पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें एक निजी फोरेंसिक लैब से एक सुसाइड नोट मिला था। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक अप्राइवेट लैब की मदद से एक नकली सुसाइड नोट बनाया गया है।

    - दोनों एफआईआर में पुलिस ने स्कूल का सीसीटीवी फुटेज या आरोपी का कॉल रिकॉर्ड क्यों नहीं जुटाया?

    - दोनों एफआईआर में 164 का बयान क्यों दर्ज नहीं किया गया और किसी आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?

    केस का शीर्षक: एक्स बनाम हरियाणा राज्य एंड अन्य

    Next Story