" किसी राज्य में निश्चित स्थिति होने पर क्या UGC राज्य को ओवराराइड कर परीक्षा कराने को कह सकता है ?" सुप्रीम कोर्ट ने छात्र बनाम UGC में फैसला सुरक्षित रखा
LiveLaw News Network
18 Aug 2020 3:40 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विश्वविद्यालयों को अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 6 जुलाई के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करीब चार घंटे तक पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
मंगलवार को पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार (महाराष्ट्र राज्य के लिए), वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता (पश्चिम बंगाल के शिक्षकों के लिए), वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन (दिल्ली सरकार के लिए), ओडिशा और पश्चिम बंगाल के एडवोकेट जनरल, हस्तक्षेपकर्ताओं के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, वकील अलख आलोक श्रीवास्तव आदि की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भी सुना।
एसजी ने प्रस्तुत किया कि यूजीसी के पास दिशानिर्देश जारी करने की शक्ति है और उसके पास एक अनिवार्य, वैधानिक शक्ति है क्योंकि इसे यूजीसी अधिनियम के तहत जारी किया गया है। अधिनियम के तहत, केंद्रीय प्राधिकरण के पास निर्णय लेने की सर्वोच्चता है, उन्होंने प्रस्तुत किया।
एसजी ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय समय सीमा को आगे बढ़ाने की मांग कर सकते हैं, हालांकि, वे परीक्षा आयोजित किए बिना डिग्री प्रदान करने का निर्णय नहीं ले सकते।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या यूजीसी एक राज्य को ओवरराइड कर सकता है जहां परीक्षा आयोजित ना करने के लिए एक निश्चित स्थिति मौजूद है।
पीठ ने एसजी मेहता से पूछा,
"अगर किसी राज्य में कुछ निश्चित स्थिति है, तो क्या यूजीसी राज्य को ओवरराइड कर सकता है और ये कह सकती है कि अभी परीक्षा को आयोजित किया जाएगा ? यह कैसे हो सकता है?"
फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने पक्षों को 3 दिनों के भीतर अपनी लिखित प्रस्तुतिया देने को कहा है।
एसजी ने एक अंतिम सबमिशन करते हुए कहा, " पूरा देश काम कर रहा है। छात्र 21-22 वर्ष के बच्चे हैं। क्या आप वास्तव में विश्वास कर सकते हैं कि वे बाहर नहीं जा रहे हैं?"
अदालत ने 14 अगस्त को इस मामले में विस्तृत सुनवाई शुरू की, जब उसने याचिकाकर्ताओं के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी और वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान को सुना।