क्या सीबीएसई बोर्ड कक्षा XII के शेष पेपरों को रद्द किया जा सकता है? क्या आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक आवंटित किए जा सकते हैं? : सुप्रीम कोर्ट ने CBSE से निर्णय लेने को कहा
LiveLaw News Network
17 Jun 2020 2:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (CBSE) को परामर्श देने और अगले सप्ताह तक बोर्ड परीक्षाओं के संचालन के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया है
अभिभावकों ने मंगलवार को एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने के सीबीएसई के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की और अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि COVID-19 महामारी को देखते हुए छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिए जाएं। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (CBSE) को अगले सप्ताह तक बोर्ड परीक्षाओं के संचालन के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सीबीएसई को निर्देश दिया है कि वह इस बात की जांच करें कि क्या बचे हुए बोर्ड परीक्षा के पेपरों को रद्द किया जा सकता है और क्या आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक आवंटित किए जा सकते हैं?
बच्चों के माता पिता की ओर से वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में यह कहा गया कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को देश भर के 15,000 केंद्रों पर आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अपने घरों से बाहर आने पर महामारी का सामना करना पड़ेगा,अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है और सीबीएसई को भी निर्देश दिया गया है कि वह शेष विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन न करे।
उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य बोर्डों ने छात्रों को घातक वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित ना करने का फैसला किया है।
याचिका में मांग की गई है कि सीबीएसई बोर्ड को 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन या आंतरिक अंकों के आधार पर उत्तीर्ण होना चाहिए।
याचिका में कहा गया कि
"शेष परीक्षा आयोजित करने के लिए सीबीएसई की अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है और वह भी जुलाई के महीने में जिसमें एम्स के आंकड़ों के अनुसार, कहा गया है कि COVID -19 महामारी अपने चरम पर होगी ..।"
याचिका में आगे कहा गया है कि
" विदेश में 250 स्कूलों और विभिन्न राज्य बोर्डों ने जुलाई में आयोजित होने वाली परीक्षा को रद्द कर दिया है और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक आवंटित किए जा सकते हैं।"
सीबीएसई ने अपने 250 विद्यालयों के लिए दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है, जो विदेशों में स्थित हैं और व्यावहारिक परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर अंक देने में मानदंड अपनाया है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक यह बेहद अफसोस की बात है कि उत्तरदाताओं को भारत में सभी छात्रों के जीवन को खतरे में डालने के बारे में ना तो कोई वास्तविक चिंता है और भारत में उक्त परीक्षा आयोजित करने पर जोर देने के पीछे कोई ठोस कारण भी नहीं है।