जाति के बाहर शादी करने पर गर्भवती बेटी की हत्या करने वाले की मौत की सज़ा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सही ठहराया, पढ़िए फैसला

LiveLaw News Network

14 Aug 2019 12:37 PM IST

  • जाति के बाहर शादी करने पर गर्भवती बेटी की हत्या करने वाले की मौत की सज़ा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सही ठहराया, पढ़िए फैसला

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने एकनाथ कुंभारकर को मिली मौत की सज़ा को सही ठहराया है। कुंभारकर ने नौ महीने की अपनी गर्भवती बेटी को उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाति के बाहर शादी करने से बौखलाकर गला दबाकर उसे मार दिया था।

    न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी और स्वप्ना जोशी की खंडपीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि आरोपी समाज के लिए ख़तरा है और उसने बाप-बेटी के परंपरागत संबंधों को तार-तार कर दिया है। आरोपी ने आईपीसी की धारा 302 और 364 एवं अन्य धाराओं के तहत मिली मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील की थी।

    पृष्ठभूमि

    आरोपी एकनाथ और उसकी पत्नी अरुणा की बेटी प्रमिला ने 2013 में अपनी जाति से बाहर जाकर दीपक कांबली से प्रेम विवाह कर लिया। उसके बाद से ही उसका पिता अपनी लड़की से नाराज़ चल रहा था और अंततः उसने 28 जून 2013 को गला दबाकर अपनी बेटी प्रमिला को मार दिया।

    अभियोजन के अनुसार एकनाथ अपने एक ऑटोचालक दोस्त प्रमोद के साथ प्रमिला के ससुराल पहुंचा और उसकी दादी के मरणासन्न होने का बहाना बनाकर वह उसे अपने साथ एक ऑटो में बैठाकर ले आया। सावकर अस्पताल के पास उसने वॉचमैन को बुलाने के लिए भेजा। प्रमोद ने बताया कि जब वह लौटकर आया तो प्रमिला एकनाथ की गोद में लुढ़की थी और उसके मुंह से झाग निकल रहा था। आरोपी ने एक रस्सी से अपनी बेटी का गला दबाकर मार दिया था। प्रमोद ने शोर मचाया और काफ़ी लोग वहां जमा हो गए पर आरोपी फ़रार हो चुका था। बाद में पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया।

    दलील

    एपीपी शिंदे ने बताया कि आरोपी को लगा कि प्रमिला ने उसको उसके समुदाय में बदनाम कर दिया और उसका समुदाय उसको कभी स्वीकार नहीं करेगा। और यही सब सोचकर उसने अपनी बेटी की गला दबाकर उस समय हत्या कर दी जब वह 9 महीने की गर्भवती थी। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी के लिए मानव जीवन का कोई महत्व नहीं है और वह समाज के लिए ख़तरा है।

    आरोपी के वक़ील रोहन सोनवाने ने कहा कि आरोपी का कोई आपराधिक रिकर्ड नहीं रहा है और वह 44 साल का है और उसके प्रति नरमी दिखाई जानी चाहिए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रमिला की मौत गला दबाने से हुई और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत प्रमिला की मौत के कारण हुई।

    पीठ ने कहा :

    "साक्ष्य बताता है कि आरोपी ने इस हत्या की योजना बनाई थी और उसे यह भी पता था कि प्रमिला गर्भवती है। आरोपी कभी भी इस बात को नहीं भूल पाया कि प्रमिला के कारण उसको समाज में बदनामी मिली है"। अदालत ने जगमोहन सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला दिया।

    हाईकोर्ट ने आरोपी की मौत की सज़ा की पुष्टि की पर बचाव पक्ष के वक़ील के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होने तक इसकी तामील पर रोक लगा दिया।



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