BMW हिट एंड रन : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की अपील खारिज की कहा, पैसे से न्याय नहीं खरीद सकते
LiveLaw News Network
2 April 2020 10:14 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2013 में अहमदाबाद में तेज रफ्तार BMW कार से कुचलकर दो छात्रों की जान लेने वाले दोषी की 5 साल की सजा के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया। पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, "आप पैसे से न्याय नहीं खरीद सकते। "
बुधवार को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने दोषी विस्मय अमित भाई शाह की गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया।
सुनवाई के दौरान शाह के वकीलों ने पीठ को बताया कि कि पीड़ितों के दो परिवारों में से प्रत्येक को 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और उन्होंने शाह के खिलाफ अपनी शिकायत का निपटारा कर लिया है।
ये सुनकर पीठ नाराज हुई और पीठ ने कहा, "आप पैसे से न्याय नहीं खरीद सकते।"
पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के 17 फरवरी के फैसले को चुनौती देने वाली शाह की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसने अहमदाबाद ट्रायल कोर्ट के 13 जनवरी 2015 के फैसले को बरकरार रखा था। ट्रायल कोर्ट ने शाह को लापरवाही से गाड़ी चलाने का दोषी ठहराया था, जिससे दो छात्रों की मौत हो गई थी।
दोनों छात्र अपने माता-पिता के इकलौते बच्चे थे। हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी ने शाह के वकीलों द्वारा मृतकों के माता-पिता के साथ समझौते के बावजूद शाह की अपील को खारिज कर दिया था। पीठ ने शाह को छह सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था।
दरअसल राहुल पटेल और शिवम दवे की मृत्यु शाह की BMW द्वारा की गई हिट-एंड-रन दुर्घटना में हो गई थी, जिसे वह अहमदाबाद में मध्यरात्रि के आसपास कथित तौर पर 120 किमी प्रति घंटे की गति से चला रहा था।
ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील लंबित रहने के दौरान हाईकोर्ट ने शाह को जमानत पर रिहा कर दिया था। जब सुनवाई के लिए अपील आई तो राहुल के पिता ने पीठ के समक्ष एक शपथ पत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि वह शाह के खिलाफ किसी भी मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते क्योंकि दोनों पक्ष समझौता कर चुके हैं। शाह द्वारा प्रत्येक परिवार को 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान अपने बेटों की मृत्यु के मुआवजे के रूप में दिया गया है।
राज्य अभियोजन ने पक्षकारों के बीच इस तरह के निपटारे पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि दो युवकों की मौत के इस तरह के गंभीर मामलों में समझौते की
अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत हैं। राज्य ने शाह की सजा बढ़ाने की भी मांग की थी।हालांकि पीठ ने इसे नहीं माना लेकिन उस पर लगाए गए जुर्माने को बढ़ा दिया था।