2008 विस्फोट मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु में रहने की शर्तों में ढील देने की अब्दुल नज़र मदनी की याचिका पर कर्नाटक राज्य से जवाब मांगा

Sharafat

10 July 2023 2:50 PM GMT

  • 2008 विस्फोट मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु में रहने की शर्तों में ढील देने की अब्दुल नज़र मदनी  की याचिका पर कर्नाटक राज्य से जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2008 के बेंगलुरु विस्फोट मामले के आरोपी अब्दुल नज़र मदनी की जमानत शर्तों में ढील देने, यात्रा करने और केरल में अपने गृह नगर में रहने की अनुमति देने की प्रार्थना करते हुए दायर याचिका पर कर्नाटक राज्य से जवाब मांगा। जमानत की शर्त के तहत, केरल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के अध्यक्ष मदनी को विस्फोट मामले की सुनवाई पूरी होने तक बेंगलुरु में रहना होगा।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया।

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मदनी की ओर से पेश होते हुए अदालत को सूचित किया कि मुकदमा खत्म हो गया है और मदनी के बेंगलुरु में रहने का कोई कारण नहीं है। सिब्बल ने कोर्ट को मदनी के खराब स्वास्थ्य से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा,

    “ मुकदमा ख़त्म हो गया है, बहस चल रही है, बहस ख़त्म होने में एक साल लगेगा। इस कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि ट्रायल चार महीने में खत्म हो जाना चाहिए। अब 13 साल लग गए। 2013 से वह सशर्त जमानत पर हैं, उन्हें बेंगलुरु में रहना है। उनका एक पैर कट गया है, उनकी किडनी का प्रत्यारोपण किया जाना है।”

    सिब्बल ने बहस में कहा, “ राज्य कहता है कि आप बेंगलुरु से बाहर नहीं जा सकते, आपको बेंगलुरु में ही रहना होगा। मुझे इसका कारण समझ नहीं आता कि मुझे बेंगलुरु में क्यों रहना चाहिए।"

    शीर्ष अदालत ने 17 अप्रैल को मदनकी जमानत शर्तों में ढील देते हुए उन्हें 8 जुलाई तक केरल में अपने बीमार माता-पिता से मिलने की अनुमति दे दी थी। हालांकि, सिब्बल ने कहा कि उन्हें अपनी यात्रा में कटौती करनी पड़ी क्योंकि वह कर्नाटक राज्य द्वारा मांगे गए सुरक्षा कवर के लिए जमा राशि वहन नहीं कर सके।

    सिब्बल ने अदालत को बताया कि आख़िरकार मदनी अपने बीमार पिता से मिलने में असमर्थ रहा।

    “ इस कोर्ट ने कहा कि आप केवल 17 अप्रैल से 8 जुलाई तक ही केरल जा सकते हैं। लेकिन हमें सुरक्षा के लिए भुगतान करना होगा। वह आदमी अफोर्ड नहीं कर सकता था इसलिए उसने 26 जून से 8 जुलाई तक जाने का फैसला किया। जब वह वहां उतरे तो उन्हें उल्टी हुई, उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उसके पिता बीमार हैं इसलिए जा रहा था। वह अस्पताल में रहा और 8 जुलाई को उन्हें अपने पिता को देखे बिना वापस आना पड़ा। इस देश में यही स्थिति है।"

    कर्नाटक राज्य ने निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा। मामले को आगे के विचार के लिए 17 जुलाई को पोस्ट किया गया है।

    17 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने मदनी की जमानत शर्तों में ढील देते हुए उसे 8 जुलाई तक केरल में अपने बीमार माता-पिता से मिलने की अनुमति दे दी थी।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने अप्रैल के अपने आदेश में कहा था,

    "आवेदक की चिकित्सा स्थिति और उसके बीमार माता-पिता, जो केरल में रह रहे हैं, को देखते हुए, एक अंतरिम उपाय के रूप में, हम यह आदेश देना उचित समझते हैं कि आवेदक को 8 जुलाई 2023 तक की अवधि के लिए कर्नाटक पुलिस एस्कॉर्ट के साथ अपने बीमार माता-पिता से मिलने और उसके बाद वापस लौटने की अनुमति दी जाए।"

    पीठ ने स्पष्ट किया था कि मदनी को कर्नाटक पुलिस द्वारा प्रदान किए जाने वाले एस्कॉर्ट का खर्च वहन करना होगा।

    इसके बाद मदनी ने कर्नाटक सरकार की मांग को चुनौती देते हुए एक आवेदन दायर किया था कि उन्हें केरल में रहने के दौरान सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए 56 लाख रुपये से अधिक जमा करना को कहा गया है। शीर्ष अदालत ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था।

    पीडीपी नेता पर 31 अन्य लोगों के साथ, 25 जुलाई, 2008 को बेंगलुरू में सिलसिलेवार बम विस्फोटों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 20 घायल हो गए थे।

    मामले में लश्कर-ए-तैयबा के संचालक संदिग्ध टी नजीर द्वारा किए गए कुछ इकबालिया बयानों के आधार पर पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में उन्हें इकतीसवें अभियुक्त के रूप में नामित किया गया था। मामले में मदनी को घातक हमलों से जोड़ा गया था।

    केस का शीर्षक : अब्दुल मौदानी बनाम कर्नाटक राज्य एमए 418-426/2023 एसएलपी (सीआरएल) संख्या 8084-8092/2013

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