चुनाव में अयोग्य करार गुजरात के मंत्री भूपेंद्रसिंह चुड़ास्मा ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

LiveLaw News Network

13 May 2020 3:19 PM GMT

  • चुनाव में अयोग्य करार गुजरात के मंत्री  भूपेंद्रसिंह चुड़ास्मा ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

    गुजरात के कानून मंत्री भूपेंद्रसिंह मनुभा चुड़ास्मा ने मंगलवार को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा राज्य विधानसभा के लिए दिसंबर 2017 के चुनाव को रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है।

    भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुड़ास्मा को दिसंबर 2017 के गुजरात राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अश्विनभाई खमशुभाई राठौड़ से 327 मतों के अंतर से विजेता घोषित किया था। इस बीच, राठौड़ ने भी वकील सुनील फर्नांडिस के माध्यम से दायर कैविएट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है कि कोर्ट कांग्रेस नेता की बात सुने बिना मामले में कोई आदेश जारी न करे।

    दरअसल राठौड़ ने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष चुनाव परिणामों की वैधता पर ये कहते हुए सवाल उठाया कि रिटर्निंग अधिकारी धवल जानी द्वारा 429 पोस्टल बैलेट को मतगणना के दौरान अवैध रूप से विचार से बाहर रखा गया था।राठौड़ ने दावा किया था कि इस हेरफेर को छिपाने के लिए चुनाव रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ की गई।

    वकील ईसी अग्रवाला के माध्यम से दायर अपनी अपील में, चुडासमा ने तर्क दिया है कि

    "उच्च न्यायालय मामले के उचित तथ्यों की सराहना करने में विफल रहा है और याचिकाकर्ता के सफल चुनाव को अवैध और शून्य के रूप में आयोजित करने में पूरी तरह से गलत निष्कर्ष पर पहुंचा है।"

    याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने यह नहीं माना कि जहां तक ​​429 पोस्टल बैलेट की अवैध अस्वीकृति का संबंध है, कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के नियम 54-ए में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पोस्टल बैलेट और वोट के बीच अंतर होता है।

    जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा -111 ए के तहत इस अपील में कहा गया है कि एक पोस्टल बैलेट तभी वोट में तब्दील होता है जब फॉर्म 13-बी में शामिल किए गए नियम 54 (6) से पहले ही निपटा जाता है और इसके बाद पोस्टल बैलेट 54 (7) पर एक वोट बन जाता है और ये एक के बाद एक खोले जाते हैं और इसलिए वर्तमान मामले में केवल 429 पोस्टल बैलेट ही खारिज किए गए हैं।

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि गुजरात उच्च न्यायालय इस बात की सराहना करने में विफल रहा कि मतगणना प्रक्रिया में कानून का पालन किया गया था।

    पोस्टल बैलेट की गिनती सुबह 8:00 बजे शुरू हुई और ईवीएम वोटों की गिनती सुबह 8:30 बजे शुरू हुई, जो कानून के अनुरूप है।

    चूड़ास्मा ने कहा है कि रिटर्निंग ऑफिसर के साक्ष्य से भी यह रिकॉर्ड में आया है।

    वैसे चूड़ास्मा ने अपनी अपील में कहा है कि परिणामों की घोषणा के समय या पूर्व में, 429 पोस्टल बैलेट की अस्वीकृति के बारे में राठौड़ या उनके मतगणना एजेंट की ओर से कोई लिखित शिकायत और / या कोई मांग या आपत्ति नहीं आई थी।

    गौरतलब है कि मंगलवार को गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने राठौड़ के पक्ष में फैसला सुनाया था और कहा था कि यह साबित होता है कि चुनाव में मतगणना के समय रिटर्निंग अधिकारी द्वारा 327 वोटों के जीत के अंतर के विपरीत 429 पोस्टल बैलेट को अवैध रूप से खारिज / विचाराधीन रखा गया था।

    चूड़ास्मा के चुनाव को जनप्रतिनिधित्व कानून के कई प्रावधानों के तहत शून्य घोषित करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि चुनाव का परिणाम 429 मतों की "अवैध अस्वीकृति" से भौतिक रूप से प्रभावित हुआ है।

    उच्च न्यायालय ने यह भी माना था कि चूड़ास्मा और उनके "चुनाव एजेंट" ने न केवल प्रयास किया बल्कि चुनाव में संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर से सफलतापूर्वक सहायता प्राप्त की है।

    हालांकि, उच्च न्यायालय ने, राठौड़ द्वारा 2017 के चुनावों के लिए उन्हें सफल उम्मीदवार घोषित करने के लिए की गई प्रार्थना की अनुमति नहीं दी। न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि इस आदेश के बारे में गुजरात विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग को सूचित किया जाए।

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