जज बनना अंतरात्मा की पुकार, गुड जजिंग दयालु होने के बारे में है : सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़

Sharafat

26 Nov 2022 2:30 AM GMT

  • जज बनना अंतरात्मा की पुकार, गुड जजिंग दयालु होने के बारे में है : सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़

    भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को 25 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने सभा को संबोधित करते हुए भारतीय कॉलेजियम प्रणाली के बारे में आलोचनाओं पर बात की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र या संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है। न्यायपालिका ने संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर काम किया क्योंकि इसकी व्याख्या की गई और न्यायाधीशों को दी गई।

    सीजेआई ने कहा,

    "कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश, जिनमें मैं भी शामिल हूं, हम संविधान को लागू करने वाले वफादार सैनिक हैं। जब हम खामियों की बात करते हैं तो हमारा समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर अपने तरीके से काम करना है।"

    इससे पूर्व आयोजन में एससीबीए के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कॉलेजियम प्रणाली के साथ मुद्दों पर प्रकाश डाला था और कहा था कि अच्छे वकीलों की पहचान करने की कोई व्यवस्था नहीं है और यह आकलन करने के लिए कोई पारदर्शी तरीका नहीं है कि कौन न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने के लिए सही व्यक्ति होगा।

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका में "अच्छे लोगों" के बारे में अपने प्रश्न का उल्लेख करते हुए कहा-

    "अच्छे लोगों को न्यायपालिका में प्रवेश दिलाना, अच्छे वकीलों को न्यायपालिका में प्रवेश दिलाना, केवल कॉलेजियम में सुधार करने के बारे में नहीं है। न्यायाधीश बनना इस बात से नहीं है कि आप न्यायाधीशों को कितना वेतन देते हैं। आप न्यायाधीशों को कितना भी अधिक भुगतान करें, अंत में यह एक सफल वकील का एक अंश होता है। लोग सार्वजनिक सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता की भावना के लिए न्यायाधीश बनते हैं। न्यायाधीश बनना अंतरात्मा की पुकार है।"

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने "गुड जजिंग" के अर्थ पर विस्तार से बताते हुए कहा कि गुड जजिंग दयालु होने के बारे में है, लोगों की समस्याओं को समझने के बारे में है, और उन लोगों के बारे में जजमेंटल नहीं होने के बारे में है जिनके जीवन से आप सहमत नहीं हो सकते हैं।

    उन्होंने कहा,

    "जब हमें सिस्टम के भीतर अच्छे लोगों की आवश्यकता होती है तो इसका उत्तर कहीं और होता है। यह उत्तर युवाओं को जज बनने की क्षमता देकर उन्हें सलाह देने में निहित है।"

    सीजेआई ने यह भी कहा कि न्यायाधीशों को वेतन के रूप में कोई लाभ नहीं होता है, लेकिन एक चीज जो एक न्यायाधीश को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी नहीं छोड़ती, वह है संतुष्टि की भावना। उन्होंने बार के सदस्यों से न्यायिक कार्यालयों को हमारे युवा वकीलों के लिए आकर्षक बनाने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीशों को यह सुनिश्चित करना है कि न्यायाधीशों द्वारा युवा वकीलों को सलाह दी जाए।

    उन्होंने कहा,

    "निश्चित रूप से आपको बेहतर वेतन देना होगा क्योंकि बच्चों के बड़े होने पर रहने का खर्च उठाना पड़ता है। मुझे पता है कि मैंने 22 साल के करियर में दो बच्चों को पाला है। मैं मुख्य न्यायाधीश के रूप में बहुत गतिशील, जिम्मेदार वरिष्ठ सहयोगियों के साथ धन्य हूं, जिनके साथ मैं हर दिन जुड़ता हूं। हम संवैधानिक राजनेता नहीं हो सकते, जहां हम केवल एक-दूसरे में दोष निकालें। हमें संवैधानिक राजनेता के रूप में अपने तरीके से काम करने की जरूरत है और मुझे विश्वास है कि मेरे पास जो सहकर्मी हैं, उनकी सहायता से हम सामाजिक संकल्प और सद्भाव के साथ सब कुछ हल कर सकते हैं।"

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी सभा को सूचित किया कि पिछले 5 दिनों में रजिस्ट्री ने 982 मामलों का वैरीफाइ किया है। यह सुनिश्चित किया कि डिफेक्ट को नोटिफाई करने के लिए आवश्यक समय 9 दिन से घटाकर 2 दिन कर दिया गया।

    सीजेआई ने कहा,

    "वर्तमान में आज शाम 5 बजे तक, हमारे पास 24 नवंबर से पहले कोई मामला दायर नहीं किया गया है जिसके लिए डिफेक्ट को वैरिफाई किया जाना हो।"

    सीजेआई ने कहा कि अगले सप्ताह से, सुप्रीम कोर्ट की प्रत्येक पीठ 10 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, इससे पहले 10 स्थानांतरण याचिकाएं (transfer petitions)होंगी।

    उन्होंने कहा,

    "सुप्रीम कोर्ट में लगभग 3000 स्थानांतरण याचिकाएं लंबित हैं। चूंकि अभी हमारी 13 पीठें चल रही हैं, इसलिए हमारा प्रयास है कि छुट्टियों से पहले हर दिन 130 स्थानांतरण याचिकाओं का निस्तारण किया जाए। हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जमानत के मामलों को सूचीबद्ध और निपटाया जाए।" अगले सप्ताह से, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के मामलों, आपराधिक अपीलों से निपटने के लिए, भूमि अधिग्रहण, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर मामलों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चार विशेष बेंच काम करेंगे।"

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