बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने SCBA अध्यक्ष दुष्यंत दवे और अन्य पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

18 May 2020 4:17 AM GMT

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने SCBA अध्यक्ष दुष्यंत दवे और अन्य पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के बीच आपसी टकराव में नया घटनाक्रम सामने आया है।

    17 मई, रविवार को बीसीआई ने गंभीर कदम उठाते हुए सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास करते हुए एससीबीए के अध्यक्ष, श्री दुष्यंत दवे और अन्य पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

    बीसीआई ने दुष्यंत दवे, कार्यवाहक सचिव, श्री रोहित पांडे और कार्यकारी समिति की सदस्य, सुश्री ऋतु भारद्वाज को नोटिस देकर पूछा कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के 8 मई के प्रस्ताव को रद्द करने के असाधारण कदम के बाद, जिससे एससीबीए ने अपने सचिव अशोक अरोड़ा को निलंबित कर दिया, एससीबीए के कार्यवाहक सचिव, रोहित पांडे ने बीसीआई के सचिव को पत्र लिखा था।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने 11 मई, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के उस फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी, जिसके तहत एसोसिएशन के सचिव श्री अशोक अरोड़ा को पद से निलंबित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने अशोक अरोड़ा को 8 मई को सचिव पद से हटाने का फैसला किया था।

    बीसीआई ने नोटिस में कहा कि अपमानजनक और / या गंदे शब्दों का इस्तेमाल पदाधिकारियों द्वारा किया गया।

    बीसीआई ने प्रथम दृष्टया विचार व्यक्त किया कि 3 व्यक्तियों ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 और 36 के तहत दंडनीय दुराचार किया।

    बीसीआई ने कहा,

    "परिषद को यह ध्यान में रखा गया है कि SCBA की कार्यकारी समिति के कुछ सदस्यों ने न केवल अवैध रूप से इस परिषद के 10.05.2020 के प्रस्ताव का पालन करने से इनकार कर दिया, बल्कि परिषद और उसके सदस्यों के लिए अपमानजनक या गंदे शब्दों का भी इस्तेमाल किया है।

    श्री दुष्यंत दवे, अध्यक्ष, एससीबीए, द्वारा जारी किए गए बयान और पत्र 12.05.2020 श्री रोहित पांडे (कथित कार्यवाहक सचिव) द्वारा बीसीआई को भेजे गए, जो दोनों सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और संदेशों और टिप्पणियों पर दिखाई दिए।

    सुश्री रितु भारद्वाज, जो कार्यकारी समिति की सदस्य हैं और हमारे संज्ञान में लाई गई हैं कि कार्यकारी समिति के इन सदस्यों ने बीसीआई के प्रति शत्रुतापूर्ण कार्य धोखा देने, बदनाम करने और बीसीआई के 10.05.2020 को जारी सर्वसम्मत प्रस्ताव की अवहेलना की।"

    8 मई को श्री अरोड़ा ने SCBA के सचिव पद से निलंबित होने के तुरंत बाद, उन्होंने एसोसिएशन के अध्‍यक्ष श्री दुष्यंत दवे और कार्यकारी समिति के कामकाज पर सवाल उठाया ‌था।

    बीसीआई ने 11 मई की बैठक में उन सवालों की चर्चा की।काउंसिल ने कहा कि वे 8 मई की घटनाओं से 'बेहद दुखी और चिंतित हैं', जिसके तहत SCBA की कार्यकारी समिति ने श्री अरोड़ा को निलंबित करने का निर्णय लिया था। काउंसिल ने निलंबन को "अवैध, अलोकतांत्रिक और निरंकुश" कहा।

    SCBA अध्यक्ष ने बीसीआई की आलोचना की

    SCBA अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बीसीआई के फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने कहा,

    "बीसीआई का कथित आदेश गैरकानूनी, अनधिकृत, और विकृत है। यह SCBA ही नहीं, पूरे देश की बार एसोसिएशनों ‌की स्वतंत्रता पर हमला है। बीसीआई का उन बार एसोसिएशनों पर कोई पर्यवेक्षण अधिकार क्षेत्र या नियंत्रण नहीं है, जो कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 द्वारा संचालित नहीं हैं। ...."

    एससीबीए ने 8 मई को सचिव अशोक अरोड़ा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। साथ ही सहायक सचिव रोहित पांडे को सचिव की जिम्मेदारी सौंपी। अशोक अरोड़ा ने सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे को SCBA अध्यक्ष से हटाने और उनकी एसोसिएशन की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करने के लिए एक बैठक बुलाई थी।

    बीसीआई प्रेस रिलीज पढ़ें



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