केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट को आवंटित भूमि पर वकीलों के लिए चैंबर बनाने के मुद्दे पर मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अटॉर्नी जनरल सहमत

Manisha Khatri

3 Nov 2022 11:15 AM GMT

  • केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट को आवंटित भूमि पर वकीलों के लिए चैंबर बनाने के मुद्दे पर मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अटॉर्नी जनरल सहमत

    Supreme Court of India

    सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया है, जिसमें मांग की गई है कि शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश दिया जाए कि सुप्रीम कोर्ट को आवंटित 1.33 एकड़ जमीन को वकीलों के चैंबर ब्लॉक में परिवर्तित किया जाए। इस मामले पर अब 21 नवंबर 2022 को सुनवाई की जाएगी।

    शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने न्यायाधीशों की समिति के साथ बातचीत की थी, जिसने कहा था कि यह वकीलों को तय करना है कि भूमि का उपयोग कैसे किया जाना है? हालांकि, सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि प्रशासन ने कहा था कि उन्होंने यह जमीन वकीलों को नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को दी थी। इसके अलावा, एक प्रशासनिक पक्ष पर, न्यायाधीशों की समिति सरकार के नीतिगत निर्णयों को ओवरराइड नहीं कर सकती है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने प्रस्तुत किया-

    ''पिछले 30 वर्षों में वकीलों के समुदाय में भारी इजाफा हुआ है और वकीलों को चैंबर नहीं मिलने का मुद्दा महत्वपूर्ण है। सभी वकील इतने समृद्ध नहीं हैं। चैंबर प्राप्त करने वाले प्रत्येक वकील के पास निजी कार्यालय रखने का साधन नहीं हो सकता है और अक्सर इन चैंबर को बच्चों को दे दिया जाता है।''

    सीजेआई ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से पूछा कि क्या वह समस्या के लिए कोई समाधान पेश कर सकते हैं? सीजेआई ललित ने कहा-

    ''समस्या को हल करने का प्रयास करें। हम आपकी सेवाओं का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं।''

    एजी ने प्रस्तुत किया कि वह तुरंत कोई समाधान नहीं दे सकते हैं, लेकिन वह समस्या को नेविगेट करने का प्रयास कर सकते हैं और मंत्रालयों के सचिवों और एससीबीए के साथ एक संयुक्त बैठक की जा सकती है। तदनुसार, उन्होंने इसके लिए समय मांगा। इसके बाद सीजेआई ललित ने आदेश सुनाया जो इस प्रकार है-

    ''हमने याचिकाकर्ता की ओर से श्री विकास सिंह को सुना है। यह उनका निवेदन है कि विचाराधीन भूमि के भूखंड में 1000 से अधिक चैंबर बन सकते हैं। इसका एक हिस्सा सर्वाेच्च न्यायालय के अभिलेखागार के लिए है। यह प्रस्तुत किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के पास उपलब्ध मौजूदा सुविधाएं अभिलेखागार की आवश्यकताओं का ख्याल रख सकती हैं। उनका अनुरोध है कि रिट याचिका में की गई प्रार्थना को स्वीकार किया जाए ताकि उपयुक्त चैंबर बनाए जा सकें। अटॉर्नी जनरल ने अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए समय देने की मांग की है। हम मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित करते हैं। इस स्तर पर, श्री सिंह ने अनुरोध किया कि मामले का विस्तार किया जाए और प्रार्थना बी पर भी विचार किया जाए। इस मामले पर उपयुक्त पीठ द्वारा विचार किया जाए। इसे 21 नवंबर के लिए सूचीबद्ध करें।''

    यह ध्यान में रखा जा सकता है कि अदालत ने पहले याचिका की प्रार्थना बी पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था, जिसमें विदेशी संवाददाता क्लब, भारतीय विधि संस्थान (''आईएलआई''),इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ (''आईएसआईएल'') आदि सहित भगवान दास रोड पर स्थित सुप्रीम कोर्ट के सभी भवनों का उपयोग वकीलों के चैंबर के लिए करने का निर्देश देने की मांग की थी।

    पृष्ठभूमि

    याचिका में शहरी विकास मंत्रालय के साथ परामर्श करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आसपास के पूरे क्षेत्र को सुप्रीम कोर्ट कॉम्प्लेक्स घोषित करने की मांग की गई है ताकि विदेशी संवाददाता क्लब, भारतीय विधि संस्थान (''आईएलआई''),इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ (''आईएसआईएल'') आदि सहित भगवान दास रोड पर स्थित सुप्रीम कोर्ट के सभी भवनों का उपयोग या तो चैंबर के रूप में परिवर्तिन करने या चैंबर ब्लॉक के रूप में पुनःविकास के लिए / भारत के सर्वाेच्च न्यायालय से संबंधित गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सके।

    याचिका के अनुसार, हाल के वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की संख्या कई गुना बढ़ गई है और इसने सुप्रीम कोर्ट के आसपास चैंबर्स और सुप्रीम कोर्ट से संबंधित अन्य गतिविधियों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट के चैंबर ब्लॉक अब आवंटन के लिए योग्य वकीलों की बढ़ती संख्या को समायोजित नहीं कर पा रहे हैं।

    ''याचिकाकर्ता एसोसिएशन का अपने सदस्यों के प्रति कर्तव्य है कि वे उनकी बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करें और यह सुनिश्चित करें कि वरिष्ठता सूची के अनुसार शीघ्रता से चैंबर आवंटित किए जाएं। इस पृष्ठभूमि में, यह उल्लेख करना उचित है कि सुप्रीम कोर्ट के चैंबर ब्लॉक अब आवंटन के लिए पात्र वकीलों की बढ़ती संख्या को समायोजित नहीं कर सकते हैं। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता एसोसिएशन को भारत के सर्वाेच्च न्यायालय में और उसके आसपास एसोसिएशन में सदस्यों की संख्या में हुई वृद्धि को पूरा करने के लिए अतिरिक्त स्थान की आवश्यकता है।''

    इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट को आवंटित 1.33 एकड़ भूमि में से केवल 0.5 एकड़ वकीलों के चैंबर ब्लॉक के लिए निर्धारित की गई है और उक्त भूमि पर केवल 400-500 चैंबर का निर्माण किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है, ''1.33 एकड़ की यह जमीन सुप्रीम कोर्ट के पास उपलब्ध खाली जमीन का आखिरी टुकड़ा है और इसे पूरी तरह से वकीलों के लिए चैंबर ब्लॉक बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।''

    याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता एसोसिएशन के सदस्य न्याय के प्रशासन का एकीकृत और अनिवार्य हिस्सा हैं और एक वकील के लिए चैंबर इसे सुविधाजनक बनाएगा।

    ''चैंबर ब्लॉक की कमी के कारण चैंबर का आवंटन न करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (जी) और अनुच्छेद 21 के तहत निहित सदस्यों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा। वहीं यह याचिकाकर्ता संघ के सदस्यों को अपने प्रोफेशन की प्रैक्टिस करने में एक बाधा उत्पन्न करता है।''

    केस टाइटल- एससीबीए बनाम शहरी विकास मंत्रालय,डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 640/2022

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