संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए संगठित प्रयास जरूरी: सीजेआई बोबडे

LiveLaw News Network

8 Feb 2020 7:56 PM IST

  • संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए संगठित प्रयास जरूरी: सीजेआई बोबडे

    भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शरद अरविंद बोबडे ने देश में संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए सभी अंशधारकों, खासकर कानूनी पेशे से जुड़े लोगों के संगठित प्रयास की आवश्यकता जतायी है, साथ ही अदालतों पर मुकदमे के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए वाद-पूर्व मध्यस्थता को बढ़ावा देने पर बल भी दिया।

    न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि देश की अदालत पर मुकदमों का दिनोंदिन बोझ बढ़ता जा रहा है, जिसे कम करने के लिए मुकदमा शुरू होने से पहले (वाद-पूर्व) मध्यस्थता की ओर पक्षकारों को आकर्षित करने का उपयुक्त समय आ गया है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के क्षेत्र में बेहतर पेशेवर तैयार करने के लिए आवश्यक पाठ्यक्रम और कार्यक्रम शुरू किये जाने चाहिए।

    सीजेआई ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की ओर से आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन में कहा कि भारत में संस्थागत मध्यस्थता के क्षेत्र में अभी तक इच्छित सफलता नहीं मिली है। आज भी भारत के लोग संस्थागत मध्यस्थता के बजाय तदर्थ मध्यस्थता को तरजीह देते हैं। यह पूरी तरह स्पष्ट है कि देश में संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए सभी अंशधारकों, खासकर कानूनी पेशे से जुड़े लोगों से संगठित प्रयास की अपेक्षा की जाती है।

    न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा,

    "देश में संस्थागत मध्यस्थता में बढोतरी के लिए मजबूत बार महत्वपूर्ण है, क्योंकि मध्यस्थता के क्षेत्र में बेहतर जानकारी एवं अनुभवी पेशेवरों की कमी है और इस दिशा में प्रयास किया जाना जरूरी है।"

    देश में मध्यस्थता संबंधी विभिन्न प्रकार के मामले सामने आने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सामान्य बार की तुलना में उन लोगों की आवश्यकता अधिक महसूस की जाने लगी है, जो सक्षम मध्यस्थता संस्थानों के सम्पर्क में काम करते रहे हैं।

    सम्मेलन में शीर्ष अदालत के कुछ अन्य न्यायाधीशों, फिक्की की अध्यक्ष डॉ संगीता रेड्डी, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन के अध्यक्ष एन जी खैतान तथा उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री गीता लूथरा ने भी सम्बोधित किया।

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