कर्मचारी मुआवजा अधिनियम - धारा 30 के तहत मुआवजा आयुक्त द्वारा पारित अवार्ड के खिलाफ अपील कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न पर ही सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
14 Nov 2021 6:18 AM

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 की धारा 30 के संदर्भ में मुआवजा आयुक्त द्वारा पारित निर्णय के खिलाफ अपील कानून के एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर ही सुनवाई योग्य है।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ वर्तमान मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल, 2013 के आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर विचार कर रही थी।
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, पहले प्रतिवादी ("मुस्तफा") की अपील को इस आधार पर स्वीकार कर लिया गया था कि त्रिचिरापल्ली में मुआवजा आयुक्त के पास शिकायत पर विचार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था क्योंकि कुड्डालोर में मुआवजा आयुक्त के पास शिकायत पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र था।
मुआवजा आयुक्त के अवार्ड को बहाल करते हुए पीठ ने कहा कि,
"हम पाते हैं कि हाईकोर्ट को रोजगार के दौरान अपीलकर्ता के पैर कटने के जख्म से निपटने वाले मुआवजा आयुक्त के अवार्ड के खिलाफ दायर अपील में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। हाईकोर्ट को अपीलकर्ता को हुए नुकसान की ज्यादा से ज्यादा भरपाई करने का बड़ा दिल दिखाना चाहिए था, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी के पूरी तरह से अस्थिर आधार पर एक अंग के नुकसान के कारण मुआवजे के अवार्ड को बिना रद्द करना दर्शाता है कि इसने बगैर किसी करुणा दिखाए दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया।"
शीर्ष अदालत ने प्रतिवादी को निर्देश दिया कि वह पिछले 20 से अधिक वर्षों से मुआवजे से वंचित करने के लिए अपीलकर्ता को आदेश की तिथि (8 नवंबर, 2021) से दो महीने की अवधि के भीतर लागत के रूप में 1,00,000 / - रुपये (एक लाख रुपये) का भुगतान करे।
तथ्यात्मक पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता ("मयन") प्रतिवादी के कृषि फार्म में एक श्रमिक के रूप में काम कर रहा था। उसका दाहिना 5 मार्च, 2001 को नौकरी के दौरान एक हार्वेस्टिंग मशीन में फंसकर कट गया था। मुआवजा आयुक्त ने 1,21,997/- रुपये की राशि 12% ब्याज के साथ दिए जाने का आदेश पारित किया था।
सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण
यह ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता श्रीराम नगर का निवासी था, जो त्रिचिरापल्ली के अधिकार क्षेत्र में था, पीठ ने कहा कि,
"यहां तक कि कानूनी रूप से भी कर्मचारी मुआवजा अधिनियम 1923 की धारा 21 (1) (बी) के तहत संबंधित मुआवजा आयुक्त का अधिकार क्षेत्र था।"
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
"दुर्भाग्य से, हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार के आधार पर अवार्ड के साथ हस्तक्षेप किया कि घायल ने अपनी दावा याचिका में यह दलील नहीं दी है कि वह मुआवजा आयुक्त, त्रिचिरापल्ली के अधिकार क्षेत्र में रह रहा था।"
केस शीर्षक: मयन बनाम मुस्तफा एवं अन्य| सिविल अपील संख्या 6614/2021
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