किसी व्यक्ति की नियमित जमानत रद्द होने के बाद गिरफ्तारी की आशंका से दायर अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

23 Nov 2020 6:28 AM GMT

  • किसी व्यक्ति की नियमित जमानत रद्द होने के बाद गिरफ्तारी की आशंका से दायर अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    कोर्ट ने कहा कि कानून की 'कंस्ट्रक्टिव कस्टडी' में रहने वाला व्यक्ति अग्रिम जमानत अर्जी नहीं दायर कर सकता।

    सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि नियमित जमानत रद्द होने के परिणामस्वरूप गिरफ्तारी से बचने के लिए कोई व्यक्ति अग्रिम जमानत याचिका दायर नहीं कर सकता।

    शीर्ष अदालत ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसा इसलिए है कि जमानत पर रिहा व्यक्ति कानून की नजर में 'कंस्ट्रक्टिव कस्टडी' के तहत होता है, और कस्टडी वाला व्यक्ति अग्रिम जमानत का अनुरोध नहीं कर सकता।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए की, जो अपनी नियमित जमानत रद्द होने के मद्देनजर गिरफ्तारी की आशंका जता रहा था।

    याचिकाकर्ता, मनीष जैन, को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत दायर मुकदमे में नियमित जमानत प्रदान की गयी थी। बाद में पेश न होने के कारण उसकी जमानत निरस्त कर दी गयी थी।

    संबंधित व्यक्ति ने इसके बाद अग्रिम जमानत के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट से उसे राहत नहीं मिली थी, इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी।

    न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ ने यह कहते हुए एसएलपी खारिज कर दी :

    "जमानत पर रिहा एक व्यक्ति पहले से ही कानून की नजर में कंस्ट्रक्टिव कस्टडी में होता है। यदि कुछ खास कारणों से कानून को उसकी कस्टडी की जरूरत होती है तो गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत अर्जी का कोई अस्तित्व नहीं होगा। कानून की नजर में 'कंस्ट्रक्टिव कस्टडी' में पहले से ही मौजूद व्यक्ति गिरफ्तारी की आशंका से बच नहीं सकता। इसलिए हम अग्रिम जमानत याचिका का अनुरोध खारिज करते हैं।"

    कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता 20 नवम्बर से दो सप्ताह के भीतर आत्म समर्पण करता है और नियमित जमानत का अनुरोध करता है तो उस पर उसी दिन विचार किया जाएगा।

    केस का ब्योरा :

    शीर्षक : मनीष जैन बनाम हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड [एसएलपी (क्रिमिनल) 5385 / 2020]

    वकील : अनिक स्वरूप (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड), एडवोकेट जी के बुद्धिराजा, जावेद तारिक और तुषार बुद्धिराजा (याचिकाकर्ता के लिए), डॉ. मोनिका गुसाईं (प्रतिवादी के लिए)

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