अमीश देवगन केस : सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर पर जांच और कठोर कार्रवाई पर रोक के अंतरिम आदेश जारी रखे

LiveLaw News Network

8 July 2020 7:38 AM GMT

  • अमीश देवगन केस : सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर पर जांच और कठोर कार्रवाई पर रोक के अंतरिम आदेश जारी रखे

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ पत्रकार अमीश देवगन की टिप्पणी के संबंध में अमीश के खिलाफ दायर कई एफआईआर के खिलाफ जांच पर रोक और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश जारी रहेंगे।

    अमीश देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ को सूचित किया कि पिछली सुनवाई में, जैसा कि निर्देश दिया गया था, जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट दे दी गई है।

    जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की एक पीठ ने याचिकाकर्ताओं को उन वास्तविक शिकायतकर्ताओं की प्रतियों लेने की अनुमति दी और यूनियन और अन्य उत्तरदाताओं दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता रिजॉइंडर दाखिल कर सकता है।

    26 जून को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर अपनी टिप्पणी के बाद न्यूज 18 एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर पर जांच और इन एफआईआर पर कठोर कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी थी।

    देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने प्रस्तुत किया था कि उनके मुवक्किल ने अपने शो के दौरान "अनजाने में त्रुटि" की थी जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी मांगी थी। पत्रकार के खिलाफ "जुबान फिसलने" के कारण एफआईआर दर्ज करना अन्यायपूर्ण है और उत्पीड़न के दायरे में है।

    लूथरा ने कहा था,

    "अगर ऐसा होने लगे, जहां लोगों को जुबान फिसलने के कारण समस्या से सामना करना पड़े तो क्या होगा? लोग गलती करते हैं। उन्होंने भी माफी मांगी है।"

    उन्होंने कहा कि अमीश के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और अगर एफआईआर के सिलसिले में उन्हें देश भर में अलग-अलग जगहों पर पेश होने के लिए कहा जाता है, तो यह उनके लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करेगा।

    महाराष्ट्र के दो शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील रिजवान मर्चेंट ने कहा कि देवगन ने अपने शो के दौरान एक बार से ज्यादा "लुटेरा चिश्ती" शब्द का इस्तेमाल किया।

    अमीश के खिलाफ शिकायतों और देश भर में एक के बाद एक एफआईआर दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर पर रोक लगाने और उन्हें खारिज करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी।

    15 जून को अपने शो 'आर पार' पर पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में पीआईएल के बारे में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें "हमलावर" और "लुटेरा" कहकर बुलाया था। इसके बाद, एंकर के खिलाफ देश भर में कई पुलिस शिकायतों और एफआईआर दर्ज की गईं।

    अधिवक्ता विवेक जैन की ओर से याचिका दायर की गई और अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज उन एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC)की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना ) 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ाना), धारा 505 (सार्वजनिक दुराचरण के लिए बयान देना) और 34 (सामान्य अभिप्राय में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत अमीश देवगन के खिलाफ आरोप लगाया गया।

    अमीश देवगन ने सूफी संत को "लुटेरा" के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी मांगी थी और इसे "अनजाने में हुई गलती कहा था।

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