ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
LiveLaw News Network
28 March 2022 11:07 AM IST
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम महिलाओं द्वारा हेडस्कार्फ़ पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।
बोर्ड ने दो अन्य याचिकाकर्ताओं मुनिसा बुशरा और जलीसा सुल्ताना यासीन के साथ अपने सचिव, मोहम्मद फजलुररहीम के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
संबंधित समाचारों में, एक इस्लामिक मौलवी संगठन "समस्थ केरल जेम-इय्यातुल उलमा" ने भी कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें मुस्लिमों महिलाओं द्वारा कक्षाओं में हेडस्कार्फ़ पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। इसके साथ ही कहा गया था कि हिजाब पहनना इस्लाम की एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।
संगठन का तर्क है कि हाईकोर्ट का फैसला पवित्र कुरान और हदीस की गलत व्याख्या और इस्लामी कानून की गलत समझ पर आधारित है।
पिछले हफ्ते, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने हिजाब मामले के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध को अस्वीकार किया था।
"परीक्षाओं का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है", सीजेआई रमाना ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत से कहा था, जिन्होंने एक मुस्लिम छात्र की ओर से तत्काल लिस्टिंग के लिए उल्लेख करते हुए कहा था कि परीक्षा 28 मार्च से शुरू हो रही है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है।
हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने आगे कहा था कि राज्य द्वारा स्कूल ड्रेस का निर्धारण अनुच्छेद 25 के तहत छात्रों के अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है और इस प्रकार, कर्नाटक सरकार द्वारा 5 फरवरी को जारी सरकारी आदेश उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।
तदनुसार, कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें हिजाब (हेडस्कार्फ़) पहनने पर एक सरकारी पीयू कॉलेजों में प्रवेश से इनकार करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।