अटॉर्नी जनरल ने नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर सवाल उठाने वाले सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज और दो सीनियर एडवोकेट के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए मंजूरी देने से इनकार किया
Brij Nandan
14 July 2022 7:08 AM GMT
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (K K Venugopal ने नूपुर शर्मा मामले (Nupur Sharma Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की टिप्पणियों पर सवाल उठाने वाले सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज एसएन ढींगरा और सीनियर एडवोकेट अमन लेखी और के रामकुमार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए मंजूरी देने से इनकार किया।
एजी ने एडवोकेट सीआर जया स्किन द्वारा मांगी गई मंजूरी को अस्वीकार कर दिया, जिन्होंने आरोप लगाया कि टिप्पणियां प्रकृति में अवमानना थीं।
एजी ने कहा कि व्यक्तियों द्वारा की गई टिप्पणियां "निष्पक्ष टिप्पणी" के दायरे में है और यह कि बयान अपमानजनक नहीं है। इसलिए न्याय प्रशासन हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
यह भी कहा गया कि यह ध्यान दिया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में निर्णयों में यह माना है कि न्यायिक कार्यवाही की निष्पक्ष और उचित आलोचना अदालत की अवमानना नहीं होगी।
एजी ने कहा,
"मैं इस बात से संतुष्ट नहीं हूं कि आपके पत्र में नामित तीन व्यक्तियों द्वारा की गई आलोचना दुर्भावनापूर्ण है या न्याय प्रशासन को बिगाड़ने का प्रयास है या यह कि यह न्यायपालिका की छवि को खराब करने के लिए जानबूझकर और प्रेरित प्रयास था।"
1 जुलाई को, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें पैगंबर मुहम्मद पर उनकी टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर को जोड़ने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने शर्मा के खिलाफ कड़ी मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी गैर-जिम्मेदार टिप्पणियों ने "देश को आग लगा दी" और "देश में जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं।
पीठ ने कहा कि किसी राजनीतिक दल का प्रवक्ता होने का मतलब गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का लाइसेंस नहीं है।
पीठ की आलोचनात्मक टिप्पणी के बाद शर्मा के वकील ने याचिका वापस लेने का फैसला किया।