अयोध्या विवाद :बुधवार को मैराथन सुनवाई के बाद पांच जजों की पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा
LiveLaw News Network
16 Oct 2019 6:43 PM IST
अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की 40 वें दिन की सुनवाई के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया ।
सुनवाई के दौरान संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अब कहा है कि तीन दिन के भीतर पक्षकार मोल्डिंग ऑफ रिलीफ यानी पक्षकारों को विकल्प के तौर पर राहत को लेकर लिखित दलीलें दे सकते हैं।
दरअसल मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं इसलिए उन्हें इससे पहले ये फैसला सुनाना होगा।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ये दूसरी बड़ी सुनवाई बन गई है और इससे पहले केशवानंद भारती मामले की सुनवाई 68 दिन चली थी। 2017 में आधार की अनिवार्यता को लेकर 38 दिनों तक सुनवाई चली ।
26 सितंबर को सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सभी पक्षकारों से कहा था कि इस मामले में दस्तावेजों को देखते हुए अगर फैसला लिखने के लिए जजों की चार हफ्ते का समय मिलता है तो ये एक चमत्कार होगा ।वहीं पीठ ने पक्षकारों को एक बार फिर मध्यस्थता के जरिए समझौता करने की अनुमति दे दी थी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, मिलकर प्रयास करना होगा
मुख्य न्यायाधीश ने पक्षकारों को कहा था कि सभी पक्षों को मिलकर संयुक्त प्रयास करना होगा कि सुनवाई और दलीलें 18 अक्तूबर तक पूरी हो जाए ताकि जजों को फैसला लिखने में चार सप्ताह का समय मिल जाए। साथ ही पक्षकारों के वकील कोर्ट में सुझाव भी दाखिल करें कि इस मामले में राहत किस तरह दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ के सामने अपीलों का समूह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ है, जिसमें फैसला सुनाया गया था कि अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को 3 भागों में विभाजित किया जाए, जिसमें 1/3 हिस्से में राम लला या शिशु राम के लिए हिंदू सभा द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाना है, इस्लामिक सुन्नी वक्फ बोर्ड में 1/3 और शेष 1/3 हिस्सा हिंदू धार्मिक संप्रदाय निर्मोही अखाड़ा को दिया जाए।