पीठासीन अधिकारी-एमएसीटी के सामने एडवोकेट ने कठोर भाषा का इस्तेमाल किया, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया
Sharafat
25 May 2022 10:12 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, हरदोई के पीठासीन अधिकारी/जिला न्यायाधीश की अदालत में दिसंबर 2021 में भद्दे और कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने वाले एक वकील को अवमानना नोटिस जारी किया है।
जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा- I और जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने पाया कि प्रथम दृष्टया, एडवोकेट (शरद कुमार गुप्ता) का कार्य न्यायालय के अधिकार को बदनाम करने वाला है।
मामला रवींद्र कुमार-IV द्वारा पीठासीन अधिकारी/जिला न्यायाधीश, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, हरदोई द्वारा भेजी गई सूचना/पत्र दिनांक 10 दिसंबर, 2021 के माध्यम से प्रकाश में आया। पत्र में बताया गया कि अवमाननाकर्ता/एडवोकेट शरद कुमार गुप्ता सिविल कोर्ट, हरदोई में एक मामले में पेश हुए और उन्होंने कुछ एफ.डी.आर. रिलीज करने की मांग की।
जब उन्हें बताया गया कि एफ.डी.आर जारी करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मूल फाइल को तलब किया जाना आवश्यक है और ऐसा करने के बाद आवश्यक प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है तो वह क्रोधित हो गए।
पत्र में आगे कहा गया है कि एडवोकेट/अवमाननाकर्ता ने कोर्ट में कठोर शब्दों का प्रयोग कर पीठासीन अधिकारी को बदनाम करने का प्रयास किया।
रजिस्ट्री के सभी नोटों और विशेष रूप से आवेदन और पीठासीन अधिकारी के संदर्भ के साथ रखे गए पूरे रिकॉर्ड को देखने के बाद न्यायालय ने पाया कि यह इस मामले में
न्यायपालिका का सम्मान, संपूर्णता और गरिमा को देखते हुए हस्तक्षेप करने का मामला बनता है।
न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया कि एडवोकेट द्वारा किया गया कार्य न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) के तहत परिभाषित आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है क्योंकि यह न्यायालय के अधिकार को बदनाम करता है। इसे देखते हुए कोर्ट ने एडवोकेट को नोटिस जारी कर कोर्ट के समक्ष पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया कि उनके खिलाफ अवमानना कानून के तहत कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए।
मामले को 15 जुलाई 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
केस टाइटल - मुख्य गृह सचिव के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य बनाम शरद कुमार गुप्ता [अवमानना आवेदन (आपराधिक) नंबर - 6/2022]
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