'राज्य के पास कोई मौलिक अधिकार नहीं है, अनुच्छेद 32 के तहत दूसरा राज्य अभियोजन नहीं कर सकता': मुख्तार अंसारी ने यूपी सरकार की उस रिट याचिका का विरोध किया, जिसमें ट्रांसफर की मांग की गई

LiveLaw News Network

9 Feb 2021 6:07 AM GMT

  • राज्य के पास कोई मौलिक अधिकार नहीं है, अनुच्छेद 32 के तहत दूसरा राज्य अभियोजन नहीं कर सकता: मुख्तार अंसारी ने यूपी सरकार की उस रिट याचिका का विरोध किया, जिसमें ट्रांसफर  की मांग की गई

    उत्तर प्रदेश के बसपा विधायक मुख्तार अंसारी, जो वर्तमान में पंजाब की जेल में बंद हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा की गई रिट याचिका पर सवाल उठाया है। इस याचिका में पंजाब से यूपी में उनके स्थानांतरण की मांग की गई है।

    राज्य के पास संविधान के तहत कोई मौलिक अधिकार नहीं है और एक राज्य संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका में दूसरे राज्य के खिलाफ मुकदमा नहीं चला सकता क्योंकि यह संघीय योजना के खिलाफ है।

    यूपी में मऊ सीट से चुने गए विधायक ने तर्क देते हुए कहा कि,

    "संविधान के भाग III के अनुच्छेद 32 के तहत तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के लिए याचिका दायर किया जा सकता है, जो केवल राज्य कार्रवाई के खिलाफ व्यक्तियों को उपलब्ध कराया गया है और इस आधार पर वर्तमान रिट याचिका खारिज किए जाने योग्य है।"

    काउंटर एफिडेविट को अनुच्छेद 32 तहत उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा रिट याचिका दायर किया गया था। इस याचिका में सीआरपीसी (Cr.PC) की धारा 406 के तहत मुख्तार अंसारी का तबादला, वर्तमान में पंजाब के रोपड़ जेल से यूपी के गाजीपुर जेल में किए जाने की मांग की है।

    अंसारी ने मुख्य रूप से इस आधार पर उक्त याचिका की स्थिरता पर आपत्ति जताई है कि संविधान के भाग III के तहत उल्लिखित अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। इसलिए वर्तमान मामले में अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई याचिका योग्य नहीं है।

    यूपी राज्य ने अपनी रिट याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष ट्रायल और कानून के शासन की अभिव्यक्ति के लिए यूपी राज्य में अंसारी स्थातंरित करना आवश्यक है, जिनके खिलाफ राज्य में गंभीर अपराध दर्ज किए गए थे।

    अंसारी ने अपने हलफनामे में कहा कि,

    "निष्पक्ष ट्रायल अभियुक्तों और गवाहों के हितों की रक्षा के लिए है। यह राज्य के लिए आरोप लगाने के लिए खुला नहीं है कि निष्पक्ष ट्रायल के लिए अभियुक्तों की हिरासत में उपस्थिति की आवश्यकता होती है, जिससे आरोपी व्यक्ति की जान को खतरा है।"

    इसके अलावा, हलफनामे में यह भी दावा किया गया है कि एक आपराधिक मामले / अपील को सीआरपीसी की धारा 406 के तहत स्थानांतरित करने का अधिकार है। यह केवल भारत के अटॉर्नी जनरल या किसी अन्य "इच्छुक पार्टी" द्वारा किए गए एक आवेदन पर किया जा सकता है। हालाकि, अंसारी के अनुसार इस मामले में यू.पी. एक इच्छुक पार्टी नहीं है।

    इसके अलावा, अंसारी ने यू.पी. सरकार के द्वारा उनके स्थानांतरण पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें यूपी राज्य में लंबित मुकदमे में पंजाब जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने के लिए अदालत द्वारा स्वतंत्रता दी गई है। अगर यूपी मामलों में मुकदमे के लिए उन्हें शारीरिक (फिजिकल) रूप से पेश होने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उन्हें मार दिए जाने की आशंका भी बढ़ जाती है।

    'सम्मानजनक परिवार से ताल्लुक है; राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मामला

    मुख्तार अंसारी ने यह भी दावा किया कि वह एक सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिसका पूर्वी यूपी में प्रमुख राजनीतिक प्रभाव है।

    हलफनामे में कहा गया कि,

    "उत्तरदाता एक ऐसे परिवार का हिस्सा है जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपार योगदान दिया है। इसके साथ ही भारत को मुहम्मद हामिद अंसारी के रूप में कई नेता दिए हैं, जो देस के उपराष्ट्रपति थे। इसके साथ ही बाबा शौकतुल्ला अंसारी थे जो ओडिशा के राज्यपाल के रूप में थे। न्यायमूर्ति आसिफ अंसारी जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और उत्तरदाता के स्वयं के पिता, स्वर्गीय सुभानुल्ला अंसारी जो स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। "

    आगे बढ़ते हुए, अंसारी ने यह भी कहा कि वृद्धावस्था, चिकित्सा स्वास्थ्य की स्थिति, मानसिक उत्पीड़न और अवसाद की स्थिति के कारण, डॉक्टर और मेडिकल बोर्ड ने उन्हें कई महीनों तक पूर्ण आराम करने की सलाह दी थी, इसीलिए उनका यूपी में स्थानांतरण किया जाना संभव नहीं है।

    आगे कहा गया कि,

    "यह उत्तरदाता लगभग 65 वर्ष का है और उच्च रक्तचाप और मधुमेह सहित बीमारियों से पीड़ित है। इसके साथ ही जेल में ही उसे दो बार कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित होना पड़ा और यहां तक कि एंजियोग्राफी भी करवानी पड़ी। पिछले कई गंभीर दुर्घटना के कारण, उनकी रीढ़ की हड्डी ख़राब हो चुकी है, जिसके लिए वे अपना इलाज करवा रहे हैं। वे इस रीढ़ की हड्डी में आई चोट के कारण ठीक से उठ-बैठ नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा, मानसिक उत्पीड़न के कारण, वह डिप्रेशन से पीड़ित हैं।"

    अंसारी ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ मामलों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की तरह लिया जा रहा है।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी की पीठ के समक्ष सुनवाई में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश होकर कहा कि अंसारी का पंजाब राज्य द्वारा मुखर रूप से बचाव किया जा रहा है।

    तुषार मेहता ने शुरुआती में टिप्पणी में कहा कि,

    "उसका पंजाब राज्य द्वारा मुखर रूप से बचाव किया गया है। पंजाब राज्य एक आतंकवादी का समर्थन कर रहा है।"

    एसजीआई ने आगे कहा कि,

    "राज्य का कहना है कि अंसारी डिप्रेशन से पीड़ित है। और वह कहता है कि वह स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से संबंधित है। वह एक गैंगस्टर है। उसे गिरफ्तार किया गया है और वह जमानत याचिका इसलिए दायर नहीं करता है क्योंकि वह पंजाब की जेल में होने से खुश है।"

    बेंच 24 फरवरी 2021 को मामले की सुनवाई करेगी।

    पीठ ने आदेश में कहा कि,

    "प्रतिवादी नबंर 1 और 2 की ओर से काउंटर हलफनामे प्राप्त किए गए हैं और प्रतिवादी नंबर 3 के शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर रखा गया है। इस मामले को 24.02.2021 को सूचीबद्ध करें। लिखित प्रस्तुतियां, यदि कोई हो तो इस बीच दायर की जा सकती हैं।"

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