हर दिन आवारा कुत्तों के काटने की 30 घटनाएं दर्ज की जाती हैं, आवारा कुत्तों को इच्छामृत्यु देना ही एकमात्र समाधान है: सुप्रीम कोर्ट में केरल स्थानीय निकाय ने कहा

Shahadat

20 Sep 2023 7:09 AM GMT

  • हर दिन आवारा कुत्तों के काटने की 30 घटनाएं दर्ज की जाती हैं, आवारा कुत्तों को इच्छामृत्यु देना ही एकमात्र समाधान है: सुप्रीम कोर्ट में केरल स्थानीय निकाय ने कहा

    सुप्रीम कोर्ट में केरल राज्य की कन्नूर जिला पंचायत ने हाल ही में हलफनामे दायर कर बताया कि कन्नूर जिले में हर दिन अनुमानित 30 आवारा कुत्तों के काटने की सूचना मिल रही है।

    सुप्रीम कोर्ट को पंचायत ने सूचित किया कि इस मुद्दे पर अंकुश लगाने के अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, आवारा कुत्तों के हमले, काटने और कुत्तों से टकराने के कारण सड़क दुर्घटनाओं की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं।

    पंचायत ने यह भी कहा कि जनवरी 2021 से जुलाई 2023 के बीच कन्नूर में 465 बच्चे आवारा कुत्तों के हमले में घायल हुए और इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में पहुंचे और उनमें से अधिकांश को गंभीर चोटें आईं।

    हलफनामे में निहाल नाम के 11 वर्षीय ऑटिस्टिक बच्चे की मौत का भी जिक्र है, जिसे इस साल जून में कन्नूर में आवारा कुत्तों के झुंड ने मार डाला था। इसके बाद पंचायत को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

    हलफनामे में कहा गया कि इसी तरह की एक घटना केरल के कोट्टायम जिले में हुई, जिसमें 12 साल के बच्चे की मौत हो गई। पंचायत ने हाल ही में सुरेंद्रन नाम के 46 वर्षीय शारीरिक मजदूर की मौत की ओर भी इशारा किया, जिसकी 7 जुलाई 2023 को रेबीज के कारण मेडिकल कॉलेज, कन्नूर में मौत हो गई थी।

    हलफनामे में कहा गया कि कन्नूर पंचायत ने चार पशु जन्म नियंत्रण केंद्र शुरू किए, जिनमें से तीन केंद्र सार्वजनिक आक्रोश और धन की कमी के कारण निष्क्रिय हो गए।

    पंचायत ने कहा कि आवारा कुत्तों को 'किसी मानवीय तरीके से' मारना ही समस्या का समाधान है। पंचायत ने कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए अन्य विकल्पों के रूप में बधियाकरण, प्रीडेसाइड्स (रसायनों का उपयोग) आदि का भी सुझाव दिया।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कन्नूर पंचायत और कालीकट नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से दायर लिखित प्रस्तुति में समिति बनाने का सुझाव दिया, जो आवारा कुत्तों की जब्ती और इच्छामृत्यु से संबंधित निर्णयों को संभालेगी। निर्णय केवल पंचायत या नगर पालिका के सचिव के पास नहीं होना चाहिए, बल्कि समिति के पास होना चाहिए, जिसमें 1) स्थानीय प्राधिकरण के प्रमुख 2) स्थानीय प्राधिकरण के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि और 3) एक पशु कल्याण संगठन का एक प्रतिनिधि शामिल हो। इससे सुझाए गए अधिक संतुलित दृष्टिकोण को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

    लिखित प्रस्तुति में यह भी तर्क दिया गया कि पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम आवारा कुत्तों को नष्ट करने की नगर निगम अधिकारियों की शक्ति को नियंत्रित या कमजोर नहीं करते हैं। यह तर्क दिया गया कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 अधिनियम के प्रावधानों और पंचायत राज अधिनियम या नगर पालिका अधिनियम के तहत आवारा कुत्तों को नष्ट करने की शक्तियों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है।

    आवेदन सिविल अपील में दायर किया गया, जिसमें 2015 के केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई। इस फैसले में स्थानीय अधिकारियों को पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 और पशु क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए गए। पिछले साल केरल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी तरह का अनुरोध किया था।

    बाद में बाल अधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि 2019 में 5794 आवारा कुत्तों के हमले की सूचना मिली थी; 2020 में 3951 मामले; 2021 में 7927 मामले; 2022 में 11776 मामले सामने आए और 19 जून, 2023 तक 6276 मामले सामने आए। आवेदन में न केवल राज्य आयोग से मामले में हस्तक्षेप करने को कहा गया, बल्कि मानव-कुत्ते के बीच बढ़ते संघर्ष की इस समस्या से निपटने के लिए आवारा कुत्तों को मारने या उन्हें कैद में रखने की भी सिफारिश की गई।

    सुप्रीम कोर्ट आज यानी 20 सितंबर को इस मामले पर सुनवाई करेगा।

    केस टाइटल: भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम आवारा परेशानियों के उन्मूलन के लिए लोग सी.ए. क्रमांक 5988/2019

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