हापुड़ मॉब लिंचिंग : सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार को 2 मई से पहले जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए

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8 April 2019 10:14 AM GMT

  • हापुड़ मॉब लिंचिंग : सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार को 2 मई से पहले जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए

    उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोहत्या के आरोप में मॉब लिंचिंग के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले की जांच की ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने राज्य सरकार को कहा कि वो 2 मई से पहले ये स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे।

    राज्य पुलिस पर उचित रूप से जांच न करने का आरोप

    इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने पीठ को बताया कि राज्य पुलिस की जांच सही नहीं चल रही है और इस मामले में पीड़ितों को मुआवजा तक नहीं दिया गया है।

    इससे पहले 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य पीड़ित के बेटे की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने घटना में अपनी जान गवांने वाले कासिम कुरैशी के बेटे की याचिका पर यह नोटिस जारी किया था।

    वृंदा ग्रोवर के माध्यम से दाखिल इस याचिका में इस मामले में उत्तर प्रदेश से बाहर के अधिकारियों की SIT से जांच कराने की मांग की गई है। पीठ ने मामले के पीड़ित समयद्दीन की याचिका के साथ इसे जोड़ दिया था।

    मेरठ रेंज के (IG) को दी गयी थी निगरानी की जिम्मेदारी
    इससे पहले 5 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था कि मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) खुद इस केस की सीधी निगरानी करेंगे। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये भी कहा था कि इस मामले में IG, गलती करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की लिंचिंग को लेकर जारी गाइडलाइन के तहत कार्रवाई करेंगे।

    सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ऐश्वर्या भाटी ने IG मेरठ की ओर से सीलबंद कवर में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी और उन्होंने पीठ को बताया था कि IG खुद इस केस की निगरानी कर रहे हैं। नए SHO व नोडल अफसर जांच कर रहे हैं। मामले में 10 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं जबकि 1 फरार है। वहीं याचिकाकर्ता व पीड़ित समयद्दीन की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट से कहा था कि निर्देशों के बाद पीड़ित के मजिस्ट्रेट के सामने बयान करा दिए गए हैं।

    2 हफ्ते में मांगी गई स्टेटस रिपोर्ट
    याचिका पर पीठ ने मेरठ रेंज के IGP को इन आरोपों की जांच कर 2 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। पीठ ने ये भी कहा था कि वो गवाह के न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने का इंतजाम करें। पीठ ने निर्देश दिए कि अगर आग्रह किया जाता है तो हापुड़ के SP याचिकाकर्ता व अन्य को सुरक्षा मुहैया कराएंगे।

    गवाह ने की थी अदालत की निगरानी में जांच की मांग
    दरअसल उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोहत्या के आरोप में मॉब लिंचिंग के शिकार एक घायल गवाह समयद्दीन ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर अदालत की निगरानी में विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की थी। इस केस में एक टीवी चैनल में स्टिंग ऑपरेशन भी दिखाया गया। इस याचिका में मामले में 4 आरोपी को जमानत मिलने पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।

    उन्होंने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने मॉब लिंचिंग मामले में दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है और एफआईआर में पूरी घटना को रोड रेज के रूप में वर्णित किया गया है।

    18 जून 2018 को याचिकाकर्ता समयद्दीन (65) 45 वर्षीय मांस व्यापारी कासिम कुरैशी के साथ थे, जब एक "भीड़" ने गोहत्या के आरोप में उन दोनों पर हमला कर दिया। यह घटना एक दिन बाद हुई जब शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वो मॉब लिंचिंग के दोषी पाए गए लोगों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून तैयार करे। इस हमले की वीडियो रिकार्डिंग भी की गई जो यह दिखाती है कि कुरैशी और याचिकाकर्ता दोनों को इस घटना के बाद फेंक दिया गया था। हमलावरों ने याचिकाकर्ता की दाढ़ी को भी खींच लिया, एवं उससे दुर्व्यवहार किया।

    इस घटना के बाद कुरैशी की तुरंत मौत हो गई थी। मुख्य अभियुक्त के रूप में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें एक स्थानीय युधिष्ठिर सिंह सिसोदिया को नामजद किया गया। बाद में सिसोदिया को जमानत पर छोड़ दिया गया। अपनी जमानत याचिका में उसने दावा किया कि वह उस जगह पर मौजूद ही नहीं था। हालांकि, एक अंग्रेजी समाचार चैनल द्वारा एक स्टिंग ने उसे अपराध के बारे में बताते हुए दिखाया।

    समयद्दीन ने भी अपनी याचिका में ट्रायल को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने का आग्रह किया है। वह यह भी चाहते हैं कि शीर्ष अदालत उक्त आरोपी की जमानत रद्द करे। सुप्रीम कोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने इस घटना पर उनका बयान दर्ज कराए और घटना की स्वतंत्र जांच कराए।

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