भीमा- कोरेगांव हिंसा : SC ने चार्जशीट दाखिल करने की मोहलत रद्द करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया

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13 Feb 2019 5:59 AM GMT

  • भीमा- कोरेगांव हिंसा : SC  ने चार्जशीट दाखिल करने की मोहलत रद्द करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया

    महाराष्ट्र के भीमा- कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें UAPA मामले में 05 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिनों के अतिरिक्त समय के ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया गया था। इसके चलते अब आरोपी सुरेंद्र गडलिंग व अन्य को बाई डिफाल्ट जमानत नहीं मिल पाएगी।

    जस्टिस एस. के. कौल ने बुधवार को ये फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस अपनी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। आरोपी नियमित जमानत के लिए आवेदन दे सकते हैं।

    10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई पूरी कर मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने उस अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन के अतिरिक्त मोहलत के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था। इससे आरोपियों को जमानत मिलने में मुश्किल हुई।

    हालांकि 29 अक्तूबर 2018 को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए आरोपी सुरेंद्र गडलिंग को नोटिस जारी किया था।

    इस दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि तकनीकी कारणों से चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई। पुलिस 10 दिनों में चार्जशीट दाखिल करेगी। इसके बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी।

    वहीं आरोपियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गडलिंग और अन्य आरोपियों के मामले में पुणे पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन अतिरिक्त देने के आदेश को रद्द कर दिया था। फैसले में जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा था कि आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देना और गिरफ्तार लोगों की हिरासत की अवधि बढ़ाने का निचली कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है।

    हाईकोर्ट के इस आदेश से गडलिंग और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जमानत पर रिहाई हो सकती थी, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर जस्टिस भाटकर ने अपने आदेश पर रोक लगाते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए राज्य सरकार को 01 नवंबर तक का समय दिया था।

    पुणे पुलिस ने गडलिंग के अलावा प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रोना विल्सन को भीमा- कोरेगांव में 31 दिसंबर 2017 और 01 जनवरी 2018 को हुई हिंसा के मामले में 6 जून 2018 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद पुणे पुलिस को सितंबर तक चार्जशीट दाखिल करनी थी लेकिन इसके बाद पुलिस ने पुणे स्पेशल कोर्ट में अर्जी दाखिल कर चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिनों का अतिरिक्त समय ले लिया था।

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