मेघालय में खदान में फंसे मजदूरों को निकालने का अभियान जारी है : केंद्र ने SC को बताया, कोर्ट ने कहा सभी जरूरी कदम उठाए जाएं
Rashid MA
21 Jan 2019 6:50 PM IST
मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को तुरंत निकालने की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि मजदूरों को निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं और अभियान को बंद नहीं किया गया है।
केंद्र की ओर से पेश SG तुषार मेहता ने जस्टिस ए. के. सीकरी की पीठ को बताया कि हालांकि, इस अभियान में दिक्कतें आ रही हैं और वहां से जो एक शव मिला है, वो सड़ी- गली हालत में है। ऐसे में इस अभियान में परेशानियां आ रही हैं।
वहीं मेघालय सरकार ने भी दावा किया कि अभी तक 1 करोड़ लीटर पानी खदान से बाहर निकाला जा चुका है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। विभिन्न विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। सरकार ने इस मामले में एक स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की है।
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि खबर आई है कि नेवी ने रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया है। इस मामले में IIT के हाइड्रोलॉजिस्ट की मदद ली जानी चाहिए। पंपों को 24 घंटे चलाया जाना चाहिए और आसपास के गांवों से बिजली लेनी चाहिए।
केंद्र के जवाब पर जस्टिस सीकरी ने कहा कि मजदूरों को बचाने के लिए जो भी कदम जरूरी हों, वो कदम उठाए जाने चाहिए। पीठ इस मामले की सुनवाई अब 28 जनवरी को करेगी।
इससे पहले 7 जनवरी को केंद्र की ओर से पेश SG तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि नेवी ने भी विशेष उपकरणों व विशेषज्ञ गोताखोरों की संख्या बढ़ाई है। इस वक्त NDRF, नेवी और ओडिसा फायर एंड रेस्क्यू सर्विस के जवानों समेत 200 से ज्यादा लोग राहत कार्य में जुटे हैं।
हालांकि इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शाम को 5 बजे बचाव कार्य बंद कर दिया जाता है।
गत 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र और मेघालय सरकार से कहा था कि वो बताएं कि इस संबंध में उनके द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं।
पीठ ने कहा था कि भले ही खदान अवैध हो, लेकिन मजदूरों को नुकसान नहीं होना चाहिए। सरकार, खदान मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। मजदूरों को हर कीमत पर बचाया जाना चाहिए।
इस दौरान केंद्र की ओर से पेश SG तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि दो मुख्य परेशानियों की वजह से राहत कार्य में दिक्कत आ रही है। पहली दिक्कत यह है कि नदी से पानी का रिसाव हो रहा है जिसे रोका नहीं जा पा रहा है। दूसरी दिक्कत यह है कि थाईलैंड और यहां के हालात बिल्कुल अलग हैं क्योंकि वहां गुफा का ब्लूप्रिंट मौजूद है, जबकि मेघालय में ये अवैध खदान है और इसका कोई ब्लूप्रिंट उपलब्ध नहीं है।
वहीं याचिकाकर्ता आदित्य एन. प्रसाद की ओर से कहा गया कि खदान से पानी निकालने के लिए केवल 25 हाई पावर पंप ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए SG तुषार मेहता से कहा था कि एक- एक सेकेंड कीमती है। अगर थाईलैंड में हाई पावर पंप इस्तेमाल किए जा सकते हैं तो भारत में क्यों नहीं। ऐसे में तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। पीठ ने मेघालय सरकार की कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए यह भी कहा था कि मजदूर इतने दिन से खदान में फंसे हुए हैं और इसको लेकर राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए?
"भले ही कोई जिंदा हो या मृत हो, हालांकि हम प्रार्थना करते हैं कि सब जिंदा हों, उन्हें तुरंत बाहर निकाला जाना चाहिए", कोर्ट ने कहा।
दरअसल मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के कदम उठाने के निर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि देशभर में ऐसे मामलों से निपटने के लिए तय नियम प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए और थाईलैंड की तर्ज पर राहत का काम होना चाहिए
गौरतलब है कि करीब 15 मजदूर, 13 दिसंबर को एक कोयला खदान में फंस गए थे। खदान में फंसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीमें मौके पर मौजूद हैं।