सबरीमला अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद ' शुद्धिकरण': SC ने पुजारी के खिलाफ अवमानना अर्जी पर जल्द सुनवाई से इनकार किया
Sukriti
5 Jan 2019 7:17 PM IST
केरल के सबरीमला अयप्पा मंदिर के मामले में मुख्य पुजारी के खिलाफ दाखिल अदालत की अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दो महिलाओं के प्रवेश के बाद ' शुद्धिकरण' के लिए मंदिर को बंद करने के खिलाफ याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग कर कहा कि अलग बेंच का गठन मुश्किल है। मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होनी है।
दरअसल केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में बुधवार सुबह 44 और 42 वर्ष दो महिलाओं ने प्रवेश किया था। कनकदुर्गा (44) और बिंदु (42) बुधवार को 3.38 बजे मंदिर पहुंच गई थीं। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने 'शुद्धिकरण' समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया। मंदिर को तड़के तीन बजे खोला गया था और 'शुद्धिकरण' के लिए उसे सुबह साढे 10 बजे बंद कर दिया गया।
इससे पहले सात दिसंबर को भी केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में केरल सरकार की दो याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने केरल सरकार की ओर से पेश विजय हंसारिया को कहा था कि इसमें जल्दबाजी की क्या जरूरत है ? वैसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी को खुली अदालत में पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केरल सरकार ने सबरीमला मंदिर को लेकर केरल हाईकोर्ट में दाखिल 23 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है।
याचिका में कहा गया है कि ये सभी 23 याचिकाएं अप्रत्यक्ष तौर पर सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में बाधा पहुंचाने के लिए दाखिल की गई हैं।
इसके अलावा केरल सरकार ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें तीन सदस्यों की समिति बनाने के निर्देश दिए गए हैं जो सबरीमला मंदिर में सुरक्षा व अन्य इंतजामों की निगरानी करेगी।
गौरतलब है कि 19 नवंबर को इस मामले में त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से 28 सितंबर के सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के आदेश आदेश को लागू करने के लिए कुछ वक्त देने की गुहार लगाई है। याचिका में इस मामले में बिगड़ी कानून व्यवस्था का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक असर हुआ है और मंदिर को लेकर कानून व्यवस्था बिगड़ी है। इसके अलावा कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत महिलाओं के प्रवेश के लिए शौचालयों व अन्य व्यवस्था करने के लिए भी वक्त लगेगा क्योंकि पंबा व निलक्कल में CEC ने निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। ये इलाका संरक्षित वन क्षेत्र में आता है।
ऐसे में जब तक बोर्ड कमेटी के सारे नियमों को पूरा नहीं करता तक वहां किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं हो सकता और ना ही महिलाओं के लिए सुविधाओं का इंतजाम हो सकता है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया है कि अभी तक 1000 महिलाओं ने मंदिर में दर्शन के लिए पंजीकृत कराया है।
बोर्ड ने गुहार लगाई है कि महिलाओं के लिए रेस्ट रूम, शौचालयों व सुरक्षा के मद्देनजर इंतजाम करने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए वक्त दिया जाए।
इससे पहले एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। 13 नवंबर को फैसला किया गया कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ खुली अदालत में 22 जनवरी को सुनवाई करेगी। पीठ ने ये भी साफ किया कि इस दौरान 28 सितंबर के फैसले पर कोई रोक नहीं है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में 28 सितंबर के पांच जजों के संविधान पीठ के फैसले को लेकर 49 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं। फैसले में 4:1 के बहुमत से कहा गया कि सभी उम्र की महिलाएं सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। पीठ ने 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को अंसवैधानिक करार दिया है। इसी पर पीठ ने चेंबर में विचार किया और फिर आदेश जारी किया। इससे पहले संविधान पीठ में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो चुके हैं और उनकी जगह चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ली है।