होमबॉयर्स को सुप्रीम कोर्ट से राहत, आम्रपाली का RERA पंजीकरण रद्द, NBCC बनाएगा अधूरे प्रोजेक्ट

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23 July 2019 11:03 AM GMT

  • होमबॉयर्स को सुप्रीम कोर्ट से राहत, आम्रपाली का RERA पंजीकरण रद्द, NBCC बनाएगा अधूरे प्रोजेक्ट

    हजारों होमबॉयर्स को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 यानी RERA के तहत आम्रपाली समूह के पंजीकरण को रद्द कर दिया है और नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (NBCC) को ग्रेटर नोएडा और नोएडा में लंबित निर्माण परियोजनाओं को संभालने का निर्देश दिया है।

    "आम्रपाली समूह ने किया होमबायर्स के साथ फर्जीवाड़ा"

    जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू. यू. ललित की पीठ ने यह पाया है कि आम्रपाली समूह ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से होमबॉयर्स के पैसों के साथ फर्जीवाडा किया है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने और समय-समय पर रिपोर्ट के साथ जांच की प्रगति के साथ अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया है।

    अदालत ने की होमबायर्स के हितों की रक्षा

    पीठ ने कहा कि NBCC रुकी हुई आम्रपाली परियोजनाओं को पूरा करेगी जिसका उसे 8 प्रतिशत कमीशन मिलेगा। होमबॉयर्स को शेष राशि विशेष खाते में जमा करनी होगी। कोर्ट ने यह कहते हुए होमबॉयर्स के हितों की रक्षा की है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को परियोजना संपत्तियों के अलावा आम्रपाली की बाकी संपत्ति से अपना बकाया वसूलना होगा।

    अदालत रिसीवर के तौर पर आर. वेंकटरमनी हुए नियुक्त
    वरिष्ठ वकील आर. वेंकटरमनी को परियोजना संपत्तियों के संबंध में अदालत रिसीवर नियुक्त किया गया है। वहीं ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने यह बताया था कि आम्रपाली ग्रुप के अधिकार क्षेत्र में 5 परियोजनाएँ थीं। इसमें से 4 खाली जमीन और बिना किसी निर्माण के थी। बकाया 3,400 करोड़ रुपये में से प्राधिकरण को आम्रपाली समूह से केवल 363 करोड़ रुपये मिले थे।

    क्या था यह पूरा मामला१

    दरअसल होमबॉयर्स ने आम्रपाली समूह की परियोजनाओं में बुक किए गए लगभग 42,000 फ्लैटों पर कब्जे के लिए कई याचिकाएं दायर की हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों द्वारा दलीलें दिए जाने के बाद कि परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उनके पास विशेषज्ञता और संसाधनों की कमी है, अदालत ने इस मामले में 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक लिए गए थे हिरासत में
    उन्होंने अदालत द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी की देखरेख में एक प्रतिष्ठित बिल्डर को परियोजना सौंपने के लिए अदालत से अनुरोध किया था। पिछले मार्च में अदालत ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा और 2 निदेशकों, शिव प्रिया और अजय कुमार को गिरफ्तार करने की अनुमति दी थी। शर्मा, प्रिया और कुमार पिछले अक्टूबर से उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में थे और शीर्ष अदालत के निर्देश पर नोएडा के एक होटल में रखे गए थे।

    सुप्रीम कोर्ट ने कसा है बिल्डरों पर शिकंजा
    उन पर कंपनी और उसके निदेशकों द्वारा वित्तीय लेनदेन की जांच करने वाले फोरेंसिक ऑडिटर्स के साथ सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया था। इसलिए अदालत ने उन्हें कंपनी के खिलाफ जांच पूरी होने तक एक होटल में पुलिस निगरानी में रखने का निर्देश दिया था। देशभर में बिल्डरों पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को देश भर के लंबित प्रोजेक्ट की जानकारी लेने के आदेश दिए है और दोषी बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।

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