असम में NRC का फाइल ड्राफ्ट 31 जुलाई तक प्रकाशित हो : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Rashid MA

25 Jan 2019 10:19 AM IST

  • असम में NRC का फाइल ड्राफ्ट 31 जुलाई तक प्रकाशित हो : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अंतिम ड्राफ्ट को 31 जुलाई तक प्रकाशित किया जाना चाहिए।

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की पीठ ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव का आयोजन और NRC प्रक्रिया, कर्मचारियों की कमी के कारण, एक दूसरे को प्रभावित किए बिना एक साथ चलनी चाहिए।

    पीठ ने निर्देश दिया कि असम के मुख्य सचिव, NRC कोऑर्डिनेटर और चुनाव आयोग के सचिव एक साथ बैठेंगे और कर्मचारियों के मुद्दे को सुलझाएंगे।

    गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि आम चुनाव और NRC दोनों महत्वपूर्ण हैं, और वो एक दूसरे के लिए बाधा नहीं बन सकते। पीठ ने असम सरकार से कर्मचारियों के मुद्दे पर EC के साथ बैठक के बाद एक सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

    वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट प्राधिकृत समन्वयक, प्रतीक हजेला ने पीठ को बताया कि अंतिम सूची के प्रकाशन को अगस्त या सितंबर तक बढ़ाया जा सकता है क्योंकि NRC के कर्मचारियों का उपयोग लोकसभा चुनाव के लिए किया जा सकता है।

    कुल 36.2 लाख लोगों ने NRC में शामिल होने के दावे प्रस्तुत किए हैं। यह लोग उन 40 लाख लोगों में से हैं, जिन्हें NRC के पूर्व मसौदे में शामिल नहीं किया गया था। दावों की सुनवाई 15 फरवरी से शुरू होगी। मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।

    इससे पहले, 12 दिसंबर को असम में NRC में शामिल नहीं किये गए 40 लाख लोगों के दावों और आपत्तियों को दर्ज कराने की डेडलाइन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया गया था।

    न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की पीठ ने असम सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दावों और आपत्तियों के सत्यापन की डेडलाइन भी 1 फरवरी 2019 से बढ़ाकर 15 फरवरी 2019 कर दी।

    सुनवाई के दौरान NRC कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने पीठ को बताया था कि अभी तक 40 लाख में से 14.8 लाख लोगों ने अपने दावे और आपत्ति दर्ज कराई हैं।

    दरअसल असम राज्य ने अपनी याचिका में राज्य में पंचायत चुनावों का उल्लेख करते हुए और दावों और आपत्तियों की सम्पूर्ण जटिल प्रकृति के चलते डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी। असम सरकार ने कहा था कि अशिक्षित और कम पढे-लिखे लोगों के लिए ये मुश्किम काम है।

    असम सरकार ने कहा कि ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी के पंचायत क्षेत्रों में लोग "लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं" और लोगों के बीच SOP के उचित ज्ञान की कमी के चलते दावों की संख्या न्यूनतम है।

    राज्य सरकार ने फाइनल NRC में दावेदारों को पांच अतिरिक्त दस्तावेजों को भी शामिल करने की अनुमति देने को भी आधार बनाया है और कहा है कि इससे इस प्रक्रिया पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है, खासकर तब जब 3.28 करोड़ आवेदकों में से बहुमत यानी 93 फीसदी लोगों ने वर्ष 1951 के NRC या 24 मार्च 1971 तक की मतदाता सूची के आधार पर स्वयं को उस सूची में शामिल करने के लिए आवेदन किया है।

    इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने SOP पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सुझाव लेने की मांग खारिज कर दी थी। पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल SOP रिकॉर्ड करते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी राजनीतिक दल या नए हस्तक्षेपकर्ताओं को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा SOP के मसौदे में अपने आपत्ति/सुझाव दर्ज करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    बेंच ने NRC के मसौदे में छोड़ी गई आबादी के जिलावार प्रतिशत की एक मुहरबंद कवर रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें असम में 40 लाख से ज्यादा लोगों को नागरिकता के निर्धारण के लिए हटा दिया गया था।

    दरअसल अपने हलफनामे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि गैर-समावेश के कारणों के बारे में लोगों को सूचित करने की प्रक्रिया 10 अगस्त को शुरू की गई है। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा था कि अदालत SOP पर इस चरण में कोई टिप्पणी या अवलोकन नहीं कर रही, भले ही याचिकाकर्ता असम लोक निर्माण, अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू), अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ और जमीयत-ए-उलेमा SOP को लेकर अपनी आपत्तियो और सुझावों को दर्ज करा सकते हैं।

    पीठ ने कुछ अन्य संगठनों की याचिका खारिज कर दी, जो 'SOP' पर अपने सुझाव और आपत्तियों के लिए अपने हस्तक्षेप आवेदनों को दर्ज करना चाहते थे। न्यायमूर्ति गोगोई ने यह भी स्पष्ट किया था कि इस मामले में किसी भी राजनीतिक दल को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    पीठ ने हजेला से प्रत्येक पंचायत कार्यालय, सरकारी प्रतिष्ठानों और NRC केंद्रों में NRC के मसौदे की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए कहा था ताकि लोगों को उनके दावे और आपत्तियां दर्ज करने में आसानी हो सके।

    अदालत ने यह भी कहा था कि ड्राफ्ट में उल्लिखित अन्य समय-सारिणी, इस समय लागू नहीं होगी और अदालत इसका फैसला करेगी। सर्वोच्च न्यायालय लगातार NRC अपडेट की निगरानी कर रहा है।


    Next Story