न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी की मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति करने में देरी का विरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 14 अगस्त तक मामले में फैसला लेने को कहा है।
"सिफारिश है विचाराधीन"
वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ को यह बताया कि फिलहाल सिफारिश विचाराधीन है और फिलहाल संसद का सत्र चल रहा है। पीठ ने कहा कि 14 अगस्त तक फैसला करें और इसे कोर्ट के सामने रखें।
"नहीं किया जा सकता कॉलेजियम की सिफारिश को ओवरराइड"
पिछली सुनवाई में गुजरात के वकीलों की ओर से वरिष्ठ वकील फली नरीमन पेश हुए थे और उन्होंने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष कहा था कि केंद्र द्वारा कॉलेजियम की सिफारिश को ओवरराइड नहीं किया जा सकता है। नियुक्ति के संबंध में केंद्र ने कम से कम उच्च न्यायालय के कॉलेजियम से परामर्श किया है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। नरीमन ने यह भी तर्क दिया था कि प्रक्रिया के तहत राज्य, न्यायिक नियुक्ति के लिए सिफारिश के संबंध में "केवल एक गौरवशाली संचार माध्यम" है। वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि ये सिफारिश फिलहाल विचाराधीन है।
अदालत मामले को सुनने के लिए हुआ था तैयार
इससे पहले बीते 15 जुलाई को इस जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने याचिकाकर्ता गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन को याचिका की प्रति सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देने के निर्देश दिए थे और SG को इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा था।
ये सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 मई को की थी। ये सिफारिश भी कॉलेजियम द्वारा उसी दिन की गई जिसके द्वारा न्यायमूर्ति डी. एन. पटेल की दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को केंद्र द्वारा अधिसूचित किया गया है।
याचिका में कही गयी बातें एवं रखा गया तर्क
याचिका में यह कहा गया है कि न्यायमूर्ति पटेल के प्रस्ताव पर केंद्र ने 2 सप्ताह के भीतर कार्रवाई की और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के CJ के रूप में कार्यभार संभाल लिया जबकि न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल को लंबित रखा गया है। इस बीच केंद्र ने 7 जून को न्यायमूर्ति रवि शंकर झा को MP हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया।
इस याचिका में कहा गया है,
"वर्तमान रिट याचिका दायर करने की तिथि तक, मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रपति को 10.05.2019 को कॉलेजियम की सिफारिशों के संदर्भ में सलाह दी है, जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी के नाम की सिफारिश को छोड़ दिया गया है। सरकार ने दिनांक 10.05.2019 को उच्च न्यायालय के लिए कॉलेजियम की सिफारिश के संदर्भ में अधिसूचना जारी करने के बजाए 07.06.2019 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि शंकर झा को मध्य प्रदेश का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया था।"
याचिका में की गयी मांग
याचिका में केंद्र सरकार को जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल की उपेक्षा को याचिका में उजागर करते हुए यह कहा गया है कि केंद्र द्वारा 10 मई के बाद न्यायिक नियुक्तियों की 18 फाइलों को मंजूरी दी गई है।
जस्टिस कुरैशी के बॉम्बे HC स्थानांतरण का भी हो चुका है विरोध
बार के विरोध के बीच गुजरात उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरैशी को पिछले साल अक्टूबर में बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें न्यायमूर्ति कुरैशी के स्थानांतरण का विरोध किया गया था। जीएचसीएए के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील यतिन ओझा ने न्यायमूर्ति कुरैशी के स्थानांतरण पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लेने के बार के फैसले की घोषणा की थी।
हालांकि CJI रंजन गोगोई द्वारा एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बाद इसे वापस ले लिया गया था। एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति कुरैशी की नियुक्ति की तत्काल अधिसूचना के लिए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के समक्ष एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने की योजना बनाई थी लेकिन कानून मंत्री ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया था।