शारदा चिट फंड मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त और IPS अधिकारी राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है।
CJI ने 3 जजों की पीठ के गठन से किया इनकार
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर सरंक्षण बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई के लिए 3 जजों की पीठ के गठन से इनकार कर दिया है।
24 मई को खत्म हो रहा है गिरफ्तारी से संरक्षण
जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल ने राजीव कुमार के वकीलों को यह सूचित किया है कि फिलहाल CJI गोगोई ने इस मामले में पीठ के गठन से इनकार किया है। गौरतलब है कि राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर दिया गया सरंक्षण 24 मई को खत्म हो रहा है।
राजीव कुमार पहुँचे थे सुप्रीम कोर्ट
दरअसल राजीव कुमार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से उस आदेश में संशोधन की गुहार लगाई है जिसमें अंतरिम राहत के लिए 7 दिन का समय दिया गया है।
कोलकाता में चल रही वकीलों की हड़ताल के मद्देनजर मांगी गयी राहत
सोमवार को राजीव कुमार की ओर से पेश वकील ने जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजीव खन्ना की वेकेशन बेंच के समक्ष इसका उल्लेख किया था और कहा था कि संबंधिक कोर्ट जाने के लिए 7 दिन का समय दिया गया था लेकिन कोलकाता में अदालतों में वकीलों की हड़ताल चल रही है।
सरंक्षण के लिए दिए गए सात दिनों में 4 दिन बीत चुके हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में संशोधन करे और कहे कि ये 7 दिन का समय तब शुरू होगा जब ये हड़ताल खत्म हो जाए।
पीठ ने मामले को रजिस्ट्रार के पास ले जाने को कहा
हालांकि पीठ ने इस अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि यह फैसला 3 जजों की पीठ का है इसलिए वो इस पर सुनवाई नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि वो इस मामले को लेकर रजिस्ट्रार के पास जाएं ताकि वो इस मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के सामने रख सकें।
राजीव कुमार को संबंधित अदालत जाने के लिए मिला है 7 दिन का समय
दरअसल 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अदालत जाने के लिए उन्हें 7 दिनों का समय दिया है। पीठ ने कहा था कि सीबीआई कानून के मुताबिक काम कर सकती है। 2 मई को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने CBI की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इससे पहले पीठ ने CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुरक्षित रखा था।
CBI ने दिए थे कुमार के खिलाफ सीलकवर में दस्तावेज
CBI ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ सीलकवर में कुछ दस्तावेज और केस डायरी सुप्रीम कोर्ट को दी थी और यह दावा किया कि घोटाले की तह तक जाने के लिए एजेंसी कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है।
राज्य सरकार ने लगाए CBI पर आरोप
वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि सीबीआई राजनीतिक कारणों से IPS अधिकारी की हिरासत में पूछताछ करना चाहती है। 4 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप आरोपी को दिए गए क्योंकि CBI इन सामग्रियों को नहीं मांगा।
इसलिए इसे अदालत के आदेशों के बाद शारदा चिट फंड की कार्यकारी निदेशक देबजानी मुखर्जी को सौंपा गया था। अब तक सबूत नष्ट करने के लिए राजीव कुमार के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की गई।