महाराष्ट्र CM के खिलाफ चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
Live Law Hindi
23 July 2019 4:49 PM IST
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने के आरोपों वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दलीलें सुनने के बाद फैसला रखा गया सुरक्षित
मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में फडणवीस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्का की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
दोनों पक्षों की ओर से दी गयी दलीलें क्या थी१
इस दौरान रोहतगी ने यह कहा कि वर्ष 2014 के चुनावी हलफनामे में उन्होंने इसलिए इन 2 मामलों का खुलासा नहीं किया क्योंकि उस समय उनमें आरोप तय नहीं किए गए थे। वैसे भी मुख्यमंत्री या सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होते हैं। कई बार कोई छूट जाता है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ये सीधे-सीधे जानकारी छिपाने का मामला है और प्रतिवादी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री फडणवीस पर लगाया गया आरोप क्या है१
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में उनकी ओर से जवाब मांगा था। याचिका में फडणवीस पर वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव के लिए दाखिल हलफनामे में 2 आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने का आरोप लगाया गया है।
याचिकाकर्ता की मांग एवं दी गयी दलील
महाराष्ट्र के वकील सतीश उके ने मुख्यमंत्री के खिलाफ याचिका दायर कर उनके चुनाव को निरस्त करने की मांग की है और यह कहा है कि ये आपराधिक मामले की श्रेणी में भी आता है इसलिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सतीश उके की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने यह दलील दी थी कि फडणवीस ने वर्ष 2014 विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में उनके खिलाफ दर्ज 2 आपराधिक मामलों को नहीं दर्शाया था। इनमें से एक मामला आपराधिक मानहानि और दूसरा ठगी का है। ऐसे में ये सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।
बॉम्बे HC कर चुका है याचिका खारिज
याचिकाकर्ता उके ने यह आरोप लगाया है कि वर्ष 2009 और 2014 में नागपुर के दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरते समय फडणवीस ने उनके खिलाफ लंबित 2 आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई थी। यह जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 125-ए का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता के मुताबिक वर्ष 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ विभिन्न आरोपों में 2 मामले दर्ज किए गए थे।
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