" मुझे भी जानने का हक है" : CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने पैनल से मांगी रिपोर्ट की प्रति
Sukriti
7 May 2019 9:11 PM IST
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े पैनल द्वारा CJI को क्लीन चिट देने पर "हैरानी" व्यक्त की है। पैनल द्वारा यह कहा गया है कि कथित रूप से पीड़ित महिला की शिकायत में कोई सबूत नहीं मिला है।
"रिपोर्ट देखने का है अधिकार"
जांच समिति को मंगलवार को लिखे गए एक पत्र में, जिसमें 2 महिला जज न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं, जांच रिपोर्ट की प्रति मांगते हुए कहा गया है कि उन्हें इस रिपोर्ट तक पहुंचने का अधिकार है।
पत्र में कहा गया है कि पीड़ित महिला ने विस्तृत हलफनामे, पर्याप्त सबूत और स्पष्ट बयानों में यौन उत्पीड़न के अपने अनुभव को दोहराया है और इसके बावजूद समिति को उसकी शिकायत और हलफनामे में "कोई पदार्थ नहीं" मिला है।
जस्टिस अरुण मिश्रा को सौंपी गयी है रिपोर्ट
दरअसल इन-हाउस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 5 मई 2019 को जस्टिस अरुण मिश्रा को इन-हाउस प्रक्रिया के अनुसार सौंपी है और इसकी एक प्रति CJI को भी भेजी है। गौरतलब है कि इन-हाउस कमेटी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व कर्मचारी के शिकायत दिनांक 19.4.2019 में शामिल आरोपों में कोई पदार्थ नहीं पाया है।
उसने आगे कहा, "शुरू से ही समिति के कामकाज में पारदर्शिता की कमी रही है और मेरे लिए बार-बार बहुत पूर्वाग्रह पैदा किए जा रहे हैं। जबकि समिति से प्राप्त पहली नोटिस में और पहली सुनवाई में, समिति से बार-बार पूछने के बावजूद, मुझे इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं दी गई कि वर्तमान कार्यवाही इन-कैमरा कार्यवाही है या नहीं। हालांकि, इन-हाउस कार्यवाही नियमों का उपयोग अब मुझे और जनता को रिपोर्ट के अधिकार से वंचित करने के लिए किया जा रहा है।"
इसके अलावा जैसा कि मीडिया द्वारा रिपोर्ट किया जा रहा है, यदि रिपोर्ट की प्रति CJI को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी जा रही है तो वह (पीड़ित महिला) भी एक प्रति की हकदार है।
महिला ने कहा, "मुझे यह अजीब लगता है कि यौन उत्पीड़न के एक मामले में शिकायतकर्ता को रिपोर्ट की प्रति प्रदान नहीं की जाती जिसमें उसकी शिकायत को बिना सबूत के एवं निराधार पाया गया है।"
पूर्ण पीठ ने यह माना था कि यहां तक कि न्यायाधीशों की संपत्ति की जानकारी भी किसी भी नागरिक को आरटीआई के तहत सुलभ होगी। इन परिस्थितियों में, उसने कहा, "मैं आपसे यह अनुरोध करती हूं कि कृपया मुझे रिपोर्ट की एक प्रति प्रदान करें क्योंकि मुझे यह जानने का अधिकार है कि कैसे, क्यों और किस आधार पर लार्डशिप ने मेरी शिकायत में 'कोई पदार्थ नहीं' पाया है।"