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वाराणसी से नामांकन रद्द करने के खिलाफ BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

वाराणसी से अपना नामांकन रद्द करने के खिलाफ BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने गुरुवार को कहा कि पीठ को इस जनहित याचिका में कोई मेरिट दिखाई नहीं देती है।
इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा था कि चुनाव आयोग का तेज बहादुर का नामांकन रद्द करने का फैसला बिल्कुल सही है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा कि वो चुनाव पर रोक की मांग नहीं कर रहे हैं। वो तो सिर्फ अपने नामांकन रद्द करने के फैसले को चुनौती दे रहे हैं जो कि गलत फैसला था।
दरअसल चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील को कहा कि वो गुरुवार को अपना रुख कोर्ट के सामने पेश करें।
तेज बहादुर पहुँचे थे सुप्रीम कोर्ट
दरअसल BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दरअसल वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से उनका नामांकन (समाजवादी पार्टी के टिकट पर) खारिज कर दिया गया था, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से चुनाव लड़ रहे हैं।
रिटर्निंग ऑफिसर ने यह भी देखा कि, "नामांकन पत्र में निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित तरीके से जारी किया गया प्रमाण पत्र नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है।"
उनका तर्क था कि उनका मामला 1951अधिनियम की धारा 9 द्वारा कवर नहीं होता और इसलिए 1951 के अधिनियम की धारा 33 (3) के तहत चुनाव आयोग द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई इस याचिका में यह कहा गया था कि चुनाव आयोग ने अधिनियम के तहत बिना विवेक के इस्तेमाल इस धारा के तहत उसका नामांकन खारिज कर दिया।
यादव ने शुरू में यह घोषणा की थी कि वह वाराणसी में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देंगे। बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा की और उन्हें अपना (सपा-बसपा संयुक्त) उम्मीदवार बनाया।