सुप्रीम कोर्ट का फैसला : लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा 5 EVM मशीनों का VVPAT से औचक मिलान कराए चुनाव आयोग
Live Law Hindi
8 April 2019 5:25 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया है कि वो लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र/निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM मशीनों का VVPAT से औचक मिलान कराए।
इससे पहले किसी भी एक विधानसभा क्षेत्र/निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक EVM का VVPAT से औचक मिलान कराया जाता था। 11 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 21 विपक्षी दलों की उस याचिका पर आया है जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 50% या 125 मतदान केंद्रों में VVPAT सत्यापन का अनुरोध किया गया था। 1 से 5 EVM से VVPAT सत्यापन की वृद्धि केवल .44% से बढ़ाकर 2 प्रतिशत ही होगी। पीठ ने कहा कि 125 मतदान केंद्रों की बजाए 5 EVM का VVPAT से सत्यापन इस समय "अधिक व्यवहार्य" है।
इस दौरान चुनाव आयोग के लिए पेश वरिष्ठ वकील सी. ए. सुंदरम ने कहा कि VVPAT की गिनती एक मैनुअल काम है। मानवीय हस्तक्षेप में वृद्धि के साथ त्रुटि का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। 4,125 मतदान केंद्रों में प्रत्येक 50% VVPAT सत्यापन से अतिरिक्त कर्मियों की भारी वृद्धि होगी। एक मतदान केंद्र में 1 सत्यापन टीम, 3 गणना अधिकारियों, 1 रिटर्निंग अधिकारी और 1 सामान्य पर्यवेक्षक से बनी है।
वहीं विपक्ष ने तर्क दिया था कि प्रत्येक मतदान केंद्र में "एक और व्यक्ति और एक टेबल" 50% वीवीपीएटी सत्यापन को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। "आपको यह जानकारी कहां से मिली कि केवल एक 'व्यक्ति' सभी VVPAT पर्ची को गिनता है? यह एक टीम होनी चाहिए," मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने 21 विपक्षी दलों के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा। सिंघवी ने बाद में स्वीकार किया कि वह इस संबंध में "तकनीकी रूप से गलत" हैं।
इस बीच आयोग ने प्रस्तुत किया कि अब तक 1,500 मतदान केंद्रों पर किए गए मॉक पोल या वीवीपीएटी पर्चियों के सत्यापन में किसी भी त्रुटि का पता नहीं चला है।
लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी VVPAT सत्यापन की मांग वाली याचिका पर 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि EVM से VVPAT पर्ची के 50 फीसदी मिलान से चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी और ऐसे में अगर चुनाव परिणाम की घोषणा में 6 दिनों की देरी होती है तो वो भी उन्हें मंजूर है।
चुनाव आयोग द्वारा दाखिल हलफनामे के जवाब में हलफनामा दाखिल करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू व 20 अन्य पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि चुनाव आयोग ने जो गिनती का आंकड़ा दिया है वो एक बूथ पर मिलान के लिए एक कर्मचारी के हिसाब से दिया है।
हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत चुनाव आयोग ने शत प्रतिशत EVM में VVPAT का प्रावधान किया है और यदि अब भी एक विधानसभा क्षेत्र में एक बूथ पर ही औचक मिलान की व्यवस्था जारी रहती है तो ये चुनाव की निष्पक्षता और EVM की दक्षता को कमजोर करेगी।
विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया है कि वो EVM की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि उनका प्रयास मौजूदा व्यवस्था में मतदाता का विश्वास सुनिश्चित करना है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ अब सोमवार को इस मामले में सुनवाई करेगी। दरअसल 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 1 हफ्ते में चुनाव आयोग के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने को कहा था।
"मतगणना के लिए आवश्यक समय बढ़ जाएगा"
इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्र या विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी वोटर वेरिफिकेशन पेपर ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्ची सत्यापन संभव नहीं है क्योंकि इससे मतगणना के लिए आवश्यक समय को 6 से 9 दिनों के लिए बढ़ाना पड़ जाएगा।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और 20 अन्य राजनीतिक नेताओं द्वारा दायर याचिका के जवाब में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि पर्ची सत्यापन के लिए एक बड़े नमूने को लेने के लिए EVM को और भी दुरुस्त करना होगा।
यह उल्लेख करना अधिक प्रासंगिक है कि कोई भी गणना मानवीय त्रुटियों या जानबूझकर शरारत करने के लिए प्रवृत्त होती है और किसी भी बड़े पैमाने पर पर्ची सत्यापन के जरिये मतगणना से मानवीय त्रुटि और शरारत की संभावना कम हो जाती है।
चुनाव आयोग ने बताया कि 1628 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और 21 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में वर्ष 2013 से अब तक आयोग द्वारा VVPAT का उपयोग किया जा रहा है। इस अवधि के दौरान केवल 1 बार एक मतदाता ने यह आरोप लगाया है कि उसका वोट उसके द्वारा चयनित उम्मीदवार के पास नहीं गया।
न्यायालय के इस सुझाव पर कि आयोग को सुधारों को स्वीकार करने के लिए खुला होना चाहिए, चुनाव आयोग ने कहा कि यह हमेशा किसी भी सुधार को लाने के लिए खुला है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का कारण बनेगा। जहां तक ये सभी मामले हैं जिन्हें आयोग ने स्वयं लागू किया है और उचित अध्ययन और परीक्षण के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वर्तमान में अपनाई गई विधि सबसे अधिक उपयुक्त है।
यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि बढ़े हुए VVPAT स्लिप काउंटिंग के लिए क्षेत्र में चुनाव अधिकारियों के व्यापक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता होगी और इस तरह के अधिकारियों को क्षेत्र में तैनाती के लिए पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता होगी। यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में, 400 से अधिक मतदान केंद्र हैं, जिनमें वीवीपीएटी स्लिप गणना को पूरा करने के लिए लगभग 8-9 दिनों की आवश्यकता होगी।
आगे जब चुनाव आसन्न हैं और मतदान 11 अप्रैल, 2019 से शुरू होना है, तो अब इस चरण में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई व्यवस्था को बदलना संभव नहीं है और इसे भविष्य के चुनावों के लिए ही माना जा सकता है। वर्तमान प्रणाली को सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन और विचार के बाद अपनाया गया है और सभी सुरक्षा उपायों और जांच को ध्यान में रखते हुए आवश्यक भी समझा गया है।
यह प्रस्तुत किया गया है कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और सच्चे और निष्पक्ष चुनाव के लिए विशेषज्ञों के माध्यम से पर्याप्त अध्ययन करने के बाद वर्तमान पद्धति को अपनाया गया है।
आयोग के मुताबिक भारतीय सांख्यिकी संस्थान की रिपोर्ट बताती है कि कुल 10.35 लाख मशीनों में से 479 EVM और VVPATs के सैंपल वेरिफिकेशन से मिलान 99.9936% तक पहुंच जाएगा। लेकिन आयोग, अप्रैल-मई के लोकसभा चुनावों का नमूना सत्यापन 4,125 ईवीएम और वीवीपीएटी को कवर करेगा। आयोग ने कहा कि यह संख्या भारतीय सांख्यिकी संस्थान की रिपोर्ट में मौजूद नमूना आकार का 8.6 गुना है।