सुप्रीम कोर्ट ने 37 वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया [सूचि पढ़े]

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30 March 2019 11:43 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने 37 वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया [सूचि पढ़े]
    सुप्रीम कोर्ट ने 37 वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया है। इनके नाम कुछ इस प्रकार हैं:-

      1. माधवी आर दीवान
      2. आर बालसुब्रमण्यम
      3. अनीता शेनॉय
      4. अरुणेश्वर गुप्ता
      5. जुगल किशोर टीकमचंद गिल्डा
      6. संजय पारिख
      7. प्रीतेश कपूर
      8. अशोक कुमार शर्मा
      9. दीपांशु मधुसूदन नरगुलकर
      10. अजीत शंकरराव भस्मे
      11. निखिल नय्यर
      12. एस. वसीम ए. कादरी
      13. नकुल दीवान
      14. देवदत्त कामत
      15. एम. जी. रामाचंद्रन
      16. मनीष सिंधवी
      17. गोपाल शंकरनारायण
      18. मोहन वेंकटेश कटार्की
      19. अनिप सचिती
      20. अनुपम लाल दास
      21. जी. वेंकटेश राव
      22. जयंत मुथ राज
      23. अरिजीत प्रसाद
      24. जय सावला
      25. अपराजिता सिंह
      26. मेनका गुरुस्वामी
      27. सिद्धार्थ दवे
      28. सिद्धार्थ भटनागर
      29. सी. एन. श्रीकुमार
      30. ऐश्वर्या भाटी
      31. संतोष पॉल
      32. गौरव भाटिया
      33. भारत संगल
      34. विनय प्रभाकर नवारे
      35. मनोज स्वरूप
      36. रितिन राय
      37. प्रिया हिंगोरानी

        पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के 25 पूर्व न्यायाधीशों को नामित किया था जिन्होंने वरिष्ठ वकील के रूप में सुप्रीम कोर्ट में अभ्यास शुरू किया था। इन दिशानिर्देशों को इंदिरा जयसिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले द्वारा अधिसूचित किया गया है जो वरिष्ठ पदनाम के लिए मानक हैं।

        मामले में जारी दिशानिर्देशों के तहत इस तरह के मामलों से निपटने के लिए "वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिए समिति" नामक एक स्थायी समिति को बनाया गया है।

        इस समिति के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश होंगे जबकि सुप्रीम कोर्ट के 2 वरिष्ठ जज, भारत के अटॉर्नी जनरल के अलाला CJI व सदस्यों द्वारा मनोनीत बार के 1 सदस्य इसमें होंगे। समिति को एक कैलेंडर वर्ष में कम से कम 2 बार मिलना होगा। इसका एक स्थायी सचिवालय भी होगा जिसकी संरचना का निर्धारण CJI समिति के अन्य सदस्यों के परामर्श से करेंगे।

        वरिष्ठ पदनाम के मूल्यांकन के लिए चार बिंदु मानदंड रखे गए हैं :



        लिखित रूप में आवेदन और पात्रता

        मुख्य न्यायाधीश या किसी अन्य न्यायाधीश द्वारा ये सिफारिश की जा सकती है अगर वो इस राय पर पहुंचते हैं कि एक वकील या एडवोकेट ऑन रिकार्ड (AOR) को वरिष्ठ पद से सम्मानित किया जाना चाहिए। कोई भी वकील वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित होने की मांग करने के लिए सचिवालय में निर्धारित प्रारूप में आवेदन दाखिल कर सकते हैं।

        सचिवालय उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों या अन्य न्यायाधीशों से भी वरिष्ठ वकील के पदनाम के लिए हर साल जनवरी और जुलाई के महीने में आवेदन आमंत्रित करेंगे।

        यह नोटिस सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा और इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन को भी दी जाएगी।

        जहां तक ​​पात्रता का संबंध है तो वरिष्ठ वकील के रूप में पद के लिए पात्र केवल वहीं वकील होंगे जो 10 वर्ष के एक वकील या एक जिला न्यायाधीश या किसी ट्रिब्यूनल में न्यायिक सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं। इसके लिए योग्यता वही है जो एक जिला न्यायाधीश के लिए निर्धारित है। उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश भी पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए पात्र हैं।

        प्रक्रिया और योग्यता

        सभी आवेदनों और लिखित प्रस्तावों को सचिवालय में भेजा जाएगा जो तब आवेदक की प्रतिष्ठा, आचरण और अखंडता पर डेटा को एकत्र, जिसमें निशुल्क कार्य में उनकी भागीदारी भी शामिल है, करेगा। इसमें उन केसों के फैसले भी रखे जाएंगे जिनमें वकील पिछले 5 वर्षों के दौरान उपस्थित हुए।

        आवेदन या प्रस्ताव पर अन्य हितधारकों के सुझावों और विचारों को आमंत्रित करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। बाद में वकीलों का डेटा-बेस संकलित किया जाएगा और इन मामलों को आगे जांच के लिए समिति के सामने रखा जाएगा जो 4 सूत्री मानदंडों के आधार पर उम्मीदवारों का आकलन करेगी।

        इस तरह के कुल मूल्यांकन के बाद वकीलों की उम्मीदवारी फुल कोर्ट के सामने प्रस्तुत की जाएगी जो बाद में उसी पर मतदान करेगी। हालांकि दिशानिर्देश यह भी स्पष्ट करते हैं कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों के मामले विचार के लिए सीधे पूर्ण फुल कोर्ट में जाएंगे। नियमों में आगे कहा गया है कि आम तौर पर फुल कोर्ट में मतदान नहीं किया जाएगा कुछ "अपरिहार्य कारणों" को छोड़कर गुप्त मतदान नहीं किया जाएगा।

        फुल कोर्ट द्वारा खारिज किए गए मामलों पर 2 साल बाद विचार किया जा सकता है और जिन मामलों को टाल दिया गया है उन मामलों को 1 वर्ष के बाद फिर से विचार किया जा सकता है।

        नियम स्पष्ट करता है कि अगर फुल कोर्ट यह पाता है कि कोई वरिष्ठ वकील अपने आचरण से दोषी है तो वो संबंधित व्यक्ति को नामित करने के अपने फैसले की समीक्षा कर सकता है। हालांकि फुल कोर्ट को किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से पहले संबंधित वरिष्ठ वकील को सुनने का अवसर देना चाहिए।


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