' चौकीदार' टिप्पणी : सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी किया, 30 अप्रैल को राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के साथ होगी सुनवाई

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23 April 2019 10:59 AM GMT

  •  चौकीदार टिप्पणी : सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी किया, 30 अप्रैल को राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के साथ होगी सुनवाई

    राफेल मामले में 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा है।

    मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने कहा कि वो 30 अप्रैल को राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के साथ इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करेंगे।

    मुकुल रोहतगी की दलील (याचिकाकर्ता की ओर से)

    इस दौरान याचिकाकर्ता मीनाक्षी लेखी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने जवाब में माना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की थी। उन्होंने अपनी गलती मानी है लेकिन माफीनामा नहीं दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि कोर्ट की टिप्पणी को राजनीति के साथ जोड़ने से उन्हें खेद है।

    अभिषेक मनु सिंघवी की दलील (राहुल गांधी की ओर से)

    वहीं राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राफेल घोटाले को लेकर 18 महीने से अभियान चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से ऐसी टिप्पणी करने पर उन्हें खेद है और अब ये नहीं होगा लेकिन राजनीतिक रूप से वो इस बात पर कायम रहेंगे कि चौकीदार ने चोरी की है।

    उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यह बयान दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में उन्हें क्लीन चिट दी है। इस मामले को अब बंद कर दिया जाना चाहिए और उन्हें कोई नोटिस भी जारी नहीं किया गया है।

    इसके बाद पीठ ने राहुल गांधी को नोटिस जारी किया और इस मामले को राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के साथ 30 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया है।

    राफेल मामले में अवमानना याचिका पर अपना जवाब दाखिल करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से वह टिप्पणी चुनाव प्रचार की सरगर्मी में उत्तेजित होकर की थी।

    "कोर्ट अवमानना की मंशा नहीं"

    सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में राहुल गांधी ने कहा है कि कोर्ट की अवमानना करना कभी उनकी मंशा नहीं रही। जिस समय राफेल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब ये प्रतिक्रिया उनके मुंह से निकल गयी थी लेकिन विरोधियों ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर और गलत मंशा से पेश किया है।

    राहुल ने कहा, "ये साफ है कि कोई भी अदालत इस तरह नहीं कह सकती (चौकीदार चोर है )। एक ही समय में कोर्ट कार्रवाई और राजनीतिक सरगर्मी के बीच ये दुर्भाग्यपूर्ण संदर्भ (जिनके लिए मैं खेद जताता हूं ) से ये नहीं समझना चाहिए कि राफेल सौदे में पीठ ने इस तरह का कोई निष्कर्ष निकाला है।"

    राहुल गांधी ने आगे कहा है , "उन्होंने मीडिया में यह बयान कि 'सुप्रीम कोर्ट ने सहमति व्यक्त की है कि पीएम मोदी ने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार किया है,' विरोधियों के उन बयानों के खिलाफ था जिनमें 14 दिसंबर के फैसले पर कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दी है। चौकीदार चोर है का नारा लगातार उनके चुनावी अभियान का हिस्सा रहा है।"

    अदालत में दी गयी अंडरटेकिंग

    राहुल ने अदालत में अंडरटेकिंग देते हुए कहा है कि जब तक अदालत के फैसले में कोई टिप्पणी या निष्कर्ष रिकार्ड नहीं होगी तब तक वो राजनीतिक भाषण या मीडिया बयानों में इनकी चर्चा नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगा।

    मीनाक्षी लेखी की याचिका पर राहुल गांधी से मांगा गया था जवाब

    दरअसल बीते 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल के फैसले के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर अवमानना याचिका में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से स्पष्टीकरण मांगा था।

    लेखी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ को बताया था कि 10 अप्रैल को दिए गए राफेल पुनर्विचार याचिका पर फैसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष ने एक टिप्पणी की कि "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, चौकीदार चोर है।" उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के इन बयानों का मीडिया में भी जमकर प्रचार- प्रसार किया गया।

    पीठ ने आदेश में दिया था स्पष्टीकरण
    इस पर पीठ ने आदेश में लिखाया, "हम यह स्पष्ट करते हैं कि राहुल गांधी द्वारा कथित भाषणों में इस अदालत के विचार, अवलोकन, निष्कर्ष, मीडिया/जनता के लिए की गई टिप्पणियों को गलत तरीके से इस अदालत को जिम्मेदार ठहराया गया है। हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि इस अदालत के पास इस तरह के अवलोकन करने का कोई अवसर नहीं था। पीठ ने कहा कि इस फैसले में केवल अटॉर्नी जनरल द्वारा उठाई गई आपत्ति पर कुछ गोपनीय दस्तावेजों की कानूनी स्वीकार्यता तय की गई थी।"

    पीठ ने यह भी कहा कि इस संबंध में राहुल गांधी 22 अप्रैल तक कोर्ट को अपना जवाब सौंपेंगे और पीठ इस मामले की सुनवाई 23 अप्रैल को करेगी।

    राफेल मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करने के मामले में भारतीय जनता पार्टी की सासंद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका दाखिल की है।

    याचिका में यह कहा गया है कि 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति को खारिज किया था लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बयानों में कहा कि, "सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि चौकीदार चोर है। जबकि कोर्ट ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की थी।"

    क्या है यह पूरा मामला१
    दरअसल 10 अप्रैल को राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज "विशेषाधिकार प्राप्त" हैं और इसलिए अदालत इन दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकती।

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ की पीठ ने कहा था कि वो राफेल फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा।

    पीठ ने कहा कि वो 'द हिंदू' में प्रकाशित राफेल से संबंधित रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज के आधार पर सौदे की प्रक्रिया का न्यायिक परीक्षण करेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी व अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

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