ब्रेकिंग : इन-हाउस पैनल ने CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत खारिज की, नहीं होगी रिपोर्ट सार्वजनिक

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6 May 2019 12:36 PM GMT

  • ब्रेकिंग : इन-हाउस पैनल ने CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत खारिज की, नहीं होगी रिपोर्ट सार्वजनिक

    जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के इन- हाउस पैनल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ पूर्व महिला कर्मी की यौन उत्पीड़न की शिकायत को खारिज कर दिया है। इसी के साथ पैनल ने कहा है कि उक्त शिकायत के संबंध में कोई सबूत नहीं मिला है।

    जस्टिस अरुण मिश्रा को सौंपी गई रिपोर्ट
    पैनल ने ये रिपोर्ट वरीयता क्रम में अगले वरिष्ठ जज जस्टिस अरूण मिश्रा को सौंपी है और CJI गोगोई को भी ये रिपोर्ट दी गई है।

    रिपोर्ट नहीं की जाएगी सार्वजनिक
    सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि इन-हाउस पैनल को CJI के खिलाफ शिकायत के लिए कोई सबूत नहीं मिला है। उन्होंने इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट मामले का हवाला देते हुए कहा कि नियमों के मुताबिक इन-हाउस पैनल की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

    पीड़ित महिला ने किया था पैनल कार्यवाही में भाग न लेने का फैसला
    इससे पहले, यह कहते हुए कि इन-हाउस कमेटी का माहौल "भयावह" है, भारत के मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने इस पैनल के सामने चल रही कार्यवाही में भाग ना लेने का फैसला किया था। एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उसने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के 3 न्यायाधीशों की उपस्थिति में और वकील या समर्थन वाले व्यक्ति के बिना डरी और घबराई हुई महसूस करती है।

    उसने यह भी उल्लेख किया है कि उसके मामले के गवाह न्यायालय के कर्मचारी हैं और उनकी समिति के सामने बिना किसी डर के पेश होने की कोई संभावना नहीं दिखती है। साथ ही उन्होंने असंतोष व्यक्त किया कि कार्यस्थल अधिनियम (महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की रोकथाम) 2013 और विशाखा मामले के दिशानिर्देशों के तहत पैनल के गठन में प्रक्रिया का पालन करने की उनकी मांग को संबोधित नहीं किया गया।

    जस्टिस एन. वी. रमना के पैनल में होने पर हुआ था विवाद
    गौरतलब है कि 23 अप्रैल को पूर्व जूनियर कोर्ट स्टाफ द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस रमना और जस्टिस इंदिरा बनर्जी का एक पैनल गठित किया गया था। बाद में महिला ने जस्टिस बोबडे को एक पत्र लिखा जिसमें जस्टिस रमना को इन-हाउस पैनल में शामिल करने पर आपत्ति जताई गई थी और यह दावा किया था कि वो CJI के निवास पर लगातार आते- जाते हैं और CJI के 'करीबी दोस्त' हैं। वो CJI के लिए एक परिवार के सदस्य की तरह हैं।

    महिला कर्मी ने यह भी कहा था कि, 20 अप्रैल को जिस दिन उसका हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को भेजा गया था, उस दिन हैदराबाद में एक कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस रमना ने उसके आरोपों को खारिज कर दिया था। इसके कारण जस्टिस रमना ने इस पैनल से खुद को अलग कर लिया और उनकी जगह जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​को पैनल के सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।

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