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कोचिंग संस्थानों के विनियमन या नियंत्रण के लिए नीति निर्धारित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जनहित याचिका दायर
Live Law Hindi
31 May 2019 6:24 AM GMT

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सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए कोचिंग संस्थानों के नियंत्रण या विनियमन के लिए नीति निर्धारित करने का निर्देश दिया जाए।
यह जनहित याचिका पवन प्रकाश पाठक ने पिछले दिनों सूरत में एक कोचिंग संस्थान में हुए अग्निकांड को देखते हुए दायर की गई है,जिसमें 22 छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि निजी कोचिंग संस्थानों को संचालित करने के लिए कोई कानून,नियम व विनियमन नहीं है और न ही कोई इमारत उपनियम या स्थानीय सुरक्षा कानून है। संस्थान छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते मुनाफाखोरी इकाइयों की तरह चलाए जाते है।
याचिकाकर्ता चाहता है कि बड़े पैमाने पर छात्रों के मौलिक अधिकारों को लागू करवाया जाए,जो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए कोचिंग की कक्षाएं लेते है। वहीं कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों के संबंध में,वे जो शुल्क लेते है,कक्षाओं में शिक्षक-छात्रों का अनुपात और कोचिंग संस्थानों के बुनियादी ढ़ांचे का विनियमन भी होना चाहिए।याचिका में कहा गया है कि-
''कोचिंग कक्षाएं एक समानांतर शिक्षा प्रणाली चला रही हैं और यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी स्कूलों की तुलना में यह संस्थान उत्कृष्ट काम कर रहे है। लेकिन मुद्दा यह है कि इन संगठनों को राज्यों द्वारा कानून या किसी भी कानून के माध्यम से नियंत्रित या नियमित नहीं किया जा सकता है सिवाय कुछ राज्यों के जैसे बिहार। यदि इनको नियमित किया जाता है,तो उन्हें कुछ बुनियादी सुविधाओं,शुल्क प्रभारित और फैकल्टी आदि के संबंध में नियमों का पालन करना होगा।''
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोचिंग संस्थानों के नियमितीकरण के लिए प्रतिवादियों को परमादेश रिट या अन्य उपयुक्त रिट जारी की जाए। वहीं छात्रों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए कहा जाए या प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि वह उन सुरक्षा उपायों का ध्यान रखे,जिन्हें इन कोचिंग संस्थानों को अपनाने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इन संस्थानों का नियमन किसी विनियमन से किया जाए या किसी योजना द्वारा ऐसा हो और इन कोचिंग संस्थानों के संचालन के लिए न्यूनतम मानक तय हो।
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