जानिए एनआरसी और एनपीआर में क्या संबंध है?

Gautam Bhatia

26 Dec 2019 2:31 PM GMT

  • जानिए एनआरसी और एनपीआर में क्या संबंध है?

    नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीज़न (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में क्या संबंध है? हाल ही में केंद्र सरकार ने अप्रैल 2020 में होने वाले एनपीआर के लिए चार हज़ार करोड़ रुपए का बजट मंज़ूर किया और गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर दोनों ने कहा कि एनसीआर और एनपीआर में आपस में कोई संबंध नहीं है।

    लेकिन ये बयान न केवल संसद में आए उन नौ अवसरों के विपरित है, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सदन में कहा कि एनपीआर, एनआरसी की दिशा में पहला कदम है, बल्कि कानून में जो लिखा है, उसके भी खिलाफ है।

    साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने नागरिकता अधिनियम में बदलाव किए। अधिनियम की धारा 14 (ए) के तहत एनआरसी को एक कानूनी ढांचा दिया गया। इसके बाद नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003 के रूल्स पास हुए, जिनमें ये साफ लिखा है कि एनपीआर के तहत हर एक परिवार और व्यक्ति के बारे में जानकारी एकत्रित की जाएगी। इस जानकारी की जांच एक सरकारी अधिकारी (लोकल रजिस्ट्रार) द्वारा की जाएगी। दिए गए रूल्स के अनुसार यह जांच एनआरसी करवाने के लिए की जाएगी।

    इतना ही नहीं, अगर उस जांच करने वाले अधिकारी को यह लगे कि आपके द्वारा दी गई जानकारी में कोई अंतर आ रहा है तो वह अधिकारी आपको संदिग्ध नागरिक के रूप में चिन्हित कर सकता है और जब एनआरसी की प्रक्रिया शुरू होगी तो आपको सरकारी ऑफ़िसों के चक्कर लगाने पड़ेंगे।

    इतना ही नहीं, आपका नाम एनआरसी में आने के बाद भी सिटीज़नशिप रूल्स धारा 4 (6) के तहत कोई भी व्यक्ति आपका नाम एनआरसी में होने के खिलाफ आपत्ति दर्ज करवा सकता है। आपत्ति के बाद आपको फिर से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे।

    यह बात हवा में नहीं हो रही है बल्कि असम में हुई एनआरसी के दौरान यह अनुभव हुआ कि सरकारी अधिकारियों को संदिग्ध नागरिकों को चिन्हित करने की शक्ति और नागरिकता पर आपत्ति की प्रक्रिया के कारण लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

    इसीलिए आप क्रोनोलॉजी समझ लीजिए। पहले एनपीआर आएगा, एनपीएआर के तहत जो जानकारी ली जाएगी, उसके आधार पर लोगों को संदिग्ध नागरिक के रूप में चिन्हित किया जाएगा और फिर जब एनआरसी आएगा तो इन सभी लोगों को सरकारी कार्यालयों में जाकर अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।

    इतना ही नहीं, एनआरसी में नाम आने के बाद, अगर एनआरसी में नाम आने पर किसी ने आपत्ति दर्ज करवाई तो नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया फिर से शुरू होगी।

    इसलिए यह बात साफ साफ समझने की है कि अप्रैल 2020 में आने वाला एनपीआर जनगणना की तरह नहीं है, बल्कि यह एनआरसी का पहला कदम है। ये सभी प्रक्रिया और नियम नागरिकता कानून में लिखे हुए हैं।

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