विभाग को विलय के बारे में जानकारी होने के बावजूद विलय करने वाली कंपनी के नाम पर जांच नोटिस जारी किया गया: कलकत्ता हाईकोर्ट ने Income Tax Act की धारा 292b लागू करने से इनकार किया
Amir Ahmad
16 Nov 2024 6:36 AM

कलकत्ता हाईकोर्ट ने विलय करने वाली कंपनी के नाम पर जारी जांच नोटिस पर Income Tax Act 1961 की धारा 292b लागू करने से इनकार किया, जबकि मूल्यांकन अधिकारी को कंपनी के विलय के बारे में जानकारी थी।
धारा 292-b में प्रावधान है कि किसी भी नोटिस या मूल्यांकन या किसी कार्यवाही को केवल इस कारण से अमान्य नहीं माना जा सकता कि ऐसे नोटिस मूल्यांकन या अन्य कार्यवाही में कोई गलती, दोष या चूक हुई।
चीफ न्यायाधीश टी.एस. शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में विलय का तथ्य मूल्यांकन अधिकारी के ज्ञान में था।
इस प्रकार उन्होंने विभाग की अपील खारिज की जिसमें यह तर्क दिया गया कि कंपनी के पिछले नाम से जारी नोटिस एक सुधार योग्य दोष था।
विभाग ने दावा किया कि न तो मूल्यांकनकर्ता और न ही समामेलन करने वाली कंपनी ने मूल्यांकन अधिकारी को हाईकोर्ट द्वारा स्वीकृत किए जा रहे समामेलन की योजना के बारे में सूचित किया। इस प्रकार उनका तर्क था कि समामेलित कंपनी के नाम पर नोटिस जारी न करने में तकनीकी दोष को कोई महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।
उन्होंने महागुन रियलटर्स (पी) लिमिटेड पर भरोसा किया, जहां समामेलित कंपनी के नाम पर किए गए मूल्यांकन को सुप्रीम कोर्ट ने वैध माना था, क्योंकि समामेलन के तथ्य को AO से छिपाया गया।
न्यायालय ने नोट किया कि नोटिस में संलग्न विश्वास करने के कारणों में मूल्यांकन अधिकारी ने समामेलन के बारे में विशेष रूप से विवरण का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि PCIT बनाम महागुन रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड (सुप्रा) में माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के लिए कोई सहायता नहीं कर सकता है।
केस टाइटल: प्रधान आयकर आयुक्त सेंट्रल 2 कोलकाता बनाम जीपीटी संस प्राइवेट लिमिटेड