आपत्तिजनक वीडियो मामले में लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली को मिली अंतरिम जमानत
Amir Ahmad
5 Jun 2025 4:23 PM IST

कोलकाता हाईकोर्ट ने गुरुवार (6 जून) को लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम राहत देते हुए अंतरिम जमानत दी।
पनोली को आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें मुसलमानों को लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में कथित रूप से आपत्तिजनक बातें कही गई थीं।
इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने पनोली को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचा सकते हैं।
शर्मिष्ठा पनोली लॉ स्टूडेंट हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित ईशनिंदात्मक टिप्पणी इंस्टाग्राम और 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की थी। विवाद बढ़ने के बाद पनोली ने वह सामग्री डिलीट कर दी और सोशल मीडिया पर माफ़ी भी मांगी लेकिन उन्हें गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया गया।
उनके खिलाफ 15 मई, 2025 को FIR दर्ज की गई और 17 मई को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। अपनी याचिका में पनोली ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी, जिसमें उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
राज्य की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने जस्टिस राजा बसु चौधरी के समक्ष कहा कि पनोली फरार थीं और उन्हें राज्य के बाहर से पकड़ा गया।
राज्य ने यह भी तर्क दिया कि उन्हें नियमित जमानत नहीं मिली थी और मजिस्ट्रेट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
सामान्यतः ऐसे मामलों में नियमित जमानत के लिए अर्जी दी जाती है, लेकिन पनोली ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट का रुख किया।
इसके बाद कोर्ट ने राज्य से केस डायरी से FIR दिखाने को कहा। एडवोकेट जनरल ने कहा कि इस बयान से कुछ सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी थी।
एडवोकेट जनरल ने फिर यह अनुरोध किया कि मामला नियमित पीठ के समक्ष भेजा जाए।
कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
“इस मामले में पहले की बेंच ने कुछ टिप्पणियाँ की थीं। इसका मतलब यह नहीं कि चेयर पर दूसरा व्यक्ति बैठा है तो मामला पूरी तरह से नया हो गया।”
राज्य ने आगे कहा कि शिकायत में अगर संज्ञेय अपराध की बात हो तो पुलिस को FIR दर्ज करनी ही होती है, चाहे आरोप सही हों या नहीं। FIR दर्ज होने के बाद आरोपी को जांच में सहयोग देना चाहिए।
राज्य का यह भी कहना था कि पुलिस पनोली के घर गई थी लेकिन वह वहाँ नहीं मिलीं। इस पर कोर्ट को बताया गया कि पनोली का कहना है कि गिरफ्तारी अवैध है, क्योंकि उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया।
कोर्ट ने जब पूछा कि पनोली ने हाईकोर्ट का रुख क्यों किया और नियमित जमानत क्यों नहीं ली, तो पनोली की और से पेश सीनियर एडवोकेट डी.पी. सिंह ने कहा,
“यह मेरे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। पुणे की एक स्टूडेंट को भी जमानत दी गई थी। प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को भी जमानत दी गई थी। मैंने अगली ही सुबह अपना वीडियो डिलीट कर दिया था।”
सीनियर एडवोकेट सिंह ने यह भी तर्क दिया कि शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता, क्योंकि भारत में ईशनिंदा कोई अपराध नहीं है।
उन्होंने कहा कि पनोली सिर्फ पाकिस्तानी लड़की से सोशल मीडिया पर बातचीत के जवाब में वह टिप्पणी कर रही थीं। वह लॉ की चौथे वर्ष की स्टूडेंट हैं, जिन्होंने विवादित वीडियो हटा दिया और तुरंत माफी भी मांगी।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने यह भी ध्यान में लिया कि शिकायत में पनोली के कॉलेज और निजी पते को उजागर किया गया और उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।
अतः कोर्ट ने यह पाया कि पनोली से अब और पुलिस पूछताछ की आवश्यकता नहीं है और उन्हें अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
अदालत ने उन्हें एक मुचलके पर जमानत दी और निर्देश दिया कि वह मजिस्ट्रेट के समक्ष पुष्टि करें और जांच में सहयोग करें।
साथ ही कोर्ट ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि यदि पनोली को उनके पोस्ट्स के कारण कोई खतरा हो तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
केस टाइटल: Shamishta Panoli @ Sharmishta Panoli Raj बनाम राज्य पश्चिम बंगाल व अन्य

