संदेशखली के पूर्व TMC नेता शाहजहां शेख मामले की CBI जांच में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट का इनकार
Amir Ahmad
4 Aug 2025 6:22 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखली के पूर्व तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता शाहजहां शेख की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने वाले एकल जज के आदेश के खिलाफ अपील खारिज की।
बता दें, शेख पर बलात्कार जबरन वसूली और मारपीट सहित कई अपराधों का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही, कथित तौर पर उनके आदेश पर ही ED की एक टीम पर हमला किया गया था, जिसे राशन घोटाले के सिलसिले में उनके परिसरों की तलाशी लेने के लिए तैनात किया गया था।
एकल पीठ का आदेश बरकरार रखते हुए जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास की खंडपीठ ने कहा,
"एक अभियुक्त के रूप में अपीलकर्ता को जांच के चरण में सुनवाई का अधिकार नहीं है या किसी जांच एजेंसी की नियुक्ति के मामले में अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है। जहां तक अभियुक्त का संबंध है, जांच के चरण में ऑडी अल्टरम पार्टम का नियम लागू नहीं होता। हाईकोर्ट अभियुक्त को सुनने या अभियुक्त को उस रिट याचिका में पक्षकार बनाने के लिए बाध्य नहीं है, जिसमें रिट याचिकाकर्ता ने किसी विशेष जांच एजेंसी द्वारा जांच कराने के निर्देश की मांग की हो। इसके अलावा, हाईकोर्ट द्वारा पारित CBI द्वारा जांच के निर्देश को किसी संभावित संदिग्ध या आपराधिक मामले के अभियुक्त द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती।"
अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित वकील ने दलील दी कि जिस रिट याचिका में यह आदेश पारित किया गया, उसमें वह पक्षकार प्रतिवादी नहीं थे। उन्होंने दलील दी कि अपीलकर्ता रिट याचिका में एक आवश्यक और उचित पक्षकार दोनों है, क्योंकि रिट याचिका उस आपराधिक मामले से संबंधित है, जिसमें अपीलकर्ता अभियुक्त है। यह कहा गया कि आक्षेपित निर्णय और आदेश द्वारा सिंगल जज ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया। परिणामस्वरूप अपीलकर्ता के कानूनी अधिकार प्रभावित हुए।
अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित वकील ने दलील दी कि रिट याचिका दायर करने में अस्पष्टीकृत देरी हुई। उन्होंने बताया कि संबंधित पुलिस मामले के संबंध में FIR 2019 की है, जिसमें आरोप पत्र 2022 में दायर किया गया। इसके बाद निजी प्रतिवादी ने रिट कोर्ट में जाने में हुई देरी का कारण बताए बिना 2024 में एक रिट याचिका दायर की। उन्होंने तर्क दिया कि रिट याचिका राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम थी।
प्रतिवादी नंबर 1 की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट ने दलील दी कि अपीलकर्ता को अपील का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि अभियुक्त के रूप में अपीलकर्ता को अपनी जांच एजेंसी चुनने का कोई अधिकार नहीं है। अपीलकर्ता उस रिट याचिका में न तो आवश्यक है और न ही उचित पक्षकार है, जिसमें आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया गया।
वकील ने दलील दी कि चुनाव बाद हुई हिंसा से संबंधित घटनाओं के संबंध में 8 जून, 2019 को नाज़त पुलिस स्टेशन में तीन पुलिस मामले दर्ज किए गए और इन मामलों में की गई जांच औपचारिक थी। इसे एक विशेष जांच एजेंसी अर्थात् CBI द्वारा किया जाना चाहिए। सिंगल जज ने इस तर्क को स्वीकार कर लिया।
इस प्रकार, अदालत ने कहा कि कार्यवाही के वर्तमान चरण में अभियुक्त को जांच के तौर-तरीकों पर कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता। इसलिए उसकी बात नहीं सुनी जा सकती। इसलिए अदालत ने अपील खारिज कर दी और सिंगल जज का आदेश बरकरार रखा।
केस टाइटल: सहजन एस.के. एवं अन्य बनाम सुप्रिया मंडल गायेन एवं अन्य

