हाईकोर्ट ने विश्व भारती के पूर्व कुलपति के खिलाफ दर्ज SC/ST Act मामला रद्द करने से किया इनकार
Amir Ahmad
1 May 2025 2:22 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट ने विश्व भारती यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. विद्युत चक्रवर्ती और अन्य अधिकारियों के खिलाफ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के तहत दर्ज मामला रद्द करने से इनकार कर दिया। इन पर यूनिवर्सिटी की एक बैठक में एक कर्मचारी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां करने का आरोप है।
जस्टिस अजय कुमार गुप्ता ने अपने निर्णय में कहा,
"यूनिवर्सिटी का केंद्रीय सम्मेलन कक्ष जो कि भवन के भीतर स्थित है, एक सार्वजनिक स्थल माना जाएगा। बैठक में सीनियर अधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक में याचिकाकर्ता नंबर 1 (पूर्व कुलपति) ने प्रतिवादी नंबर 2 को अपशब्द कहे और यह भी कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारी उनके कार्यालय में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। वे उन्हें किसी प्रकार की मोबाइल कॉल भी नहीं करेंगे। ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से की गईं जो प्रथम दृष्टया अपराध को दर्शाती हैं। जाति के आधार पर लगाए गए ऐसे प्रतिबंध कानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आते हैं।"
मामले की पृष्ठभूमि:
जुलाई, 2023 में डॉ. प्रशांत मेश्राम, जो उस समय विश्व भारती यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे, उन्होंने प्रो. चक्रवर्ती और प्रवक्ता महुआ बनर्जी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि जून, 2023 की एक बैठक में उन्हें जातिगत आधार पर अपमानित किया गया, जब उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को शिकायत भेजी थी।
प्रो. चक्रवर्ती ने न केवल उन्हें अपशब्द कहे बल्कि बैठक में मौजूद अन्य आरक्षित वर्ग के अधिकारियों की जाति की पहचान करते हुए कहा – “तुम अनुसूचित जाति हो,” “तुम ओबीसी हो,” “तुम अनुसूचित जनजाति हो” और अपने सचिव को निर्देश दिया कि वे इन व्यक्तियों की किसी भी कॉल को रिसीव न करें और उन्हें कार्यालय में प्रवेश न दें।
इसके अतिरिक्त यह भी आरोप लगाया गया कि कुलपति ने जानबूझकर शिकायतकर्ता पर वित्तीय अनियमितताओं का झूठा आरोप लगाकर मीडिया में बदनाम किया और उनकी प्रतिष्ठा व करियर को नुकसान पहुँचाया।
इन आरोपों के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ उक्त मामला दर्ज किया गया।
राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि रिकॉर्ड में पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिससे प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इसलिए इस स्तर पर मामले को रद्द नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट का निष्कर्ष:
कोर्ट ने राज्य पक्ष की इस दलील से सहमति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए आरोपों की जांच केवल विचारण (ट्रायल) के दौरान की जा सकती है। अतः इस समय पर मामला खारिज नहीं किया जा सकता।
केस टाइटल: प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य

