MBBS की डिग्री प्राप्त करने के लिए फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट समाज के खिलाफ अपराध, इसमें शामिल अधिकारियों को जेल भेजा जाना चाहिए: कलकत्ता हाइकोर्ट

Amir Ahmad

19 April 2024 6:08 AM GMT

  • MBBS की डिग्री प्राप्त करने के लिए फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट समाज के खिलाफ अपराध, इसमें शामिल अधिकारियों को जेल भेजा जाना चाहिए: कलकत्ता हाइकोर्ट

    कलकत्ता हाइकोर्ट ने टिप्पणी की कि MBBS डिग्री कोर्स में नामांकन के लिए फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट प्राप्त करना समाज के खिलाफ अपराध है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जेल भेजा जाना चाहिए।

    चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी और उन्होंने कहा कि राज्य ने अभी तक जारी/रद्द किए गए जाति प्रमाण पत्रों के विवरण के बारे में हलफनामा तैयार नहीं किया, जैसा कि अदालत ने पहले की तारीख पर निर्देश दिया।

    न्यायालय ने कहा,

    "अधिकारियों को जेल भेजो, जिस व्यक्ति ने झूठे प्रमाण-पत्र के साथ यह कोर्स पूरा किया। उसने पढ़ाई की और डिग्री हासिल की है, लेकिन उसने धोखाधड़ी की। इसलिए उसे किसी भी स्नातकोत्तर या किसी उच्च योग्यता या सार्वजनिक रोजगार के लिए उस डिग्री का उपयोग करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। यह समाज के खिलाफ अपराध है। यह संवैधानिक धोखाधड़ी है और इसमें कोई दया नहीं दिखाई जा सकती। व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए और अधिकारी को भी जाना चाहिए। यदि वेरिफिकेशन प्रक्रिया गलत है तो हम न्यायालय के आदेश के माध्यम से अधिकारी को निलंबित करेंगे और जांच का निर्देश देंगे।"

    सीनियर वकील विकास रंजन भट्टाचार्य द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि यह धोखाधड़ी है, जो बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ खेली गई। यह कहा गया कि यह समस्या केवल इस मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत की समस्या थी।

    चीफ जस्टिस शिवगणनम ने कहा कि यह उनके मूल राज्य तमिलनाडु में भी समस्या है, जहां फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए विशेष रूप से खंडपीठ है। यह भी कहा गया कि तमिलनाडु में आवेदकों द्वारा किए गए दावों को वेरीफाई करने के लिए मानवशास्त्रीय अनुभव वाले आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समितियां हैं।

    तदनुसार, न्यायालय ने राज्य को वेरिफिकेशन, वेरिफिकेशन के परिणाम आवेदनों पर की गई कार्रवाई के सटीक विवरण के साथ हलफनामा दायर करने और उसे तालिका के रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल- अजय घोष बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।

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