पत्नी कार्यरत है, पति ने पहले ही 32 लाख रुपए का भुगतान कर दिया: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पत्नी का अंतरिम भरण-पोषण खारिज किया

Amir Ahmad

11 Jan 2025 2:07 PM IST

  • पत्नी कार्यरत है, पति ने पहले ही 32 लाख रुपए का भुगतान कर दिया: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पत्नी का अंतरिम भरण-पोषण खारिज किया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पत्नी के पक्ष में ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए 80,000 रुपए प्रति माह के अंतरिम भरण-पोषण के भुगतान का आदेश खारिज कर दिया।

    जस्टिस सुवरा घोष ने कहा कि पत्नी को पहले ही समझौता ज्ञापन के तहत पति द्वारा 32 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है और वह स्वयं भी कार्यरत है।

    इस प्रकार अंतरिम भरण-पोषण का आदेश खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा,

    याचिकाकर्ता द्वारा विपक्षी पक्ष को भुगतान की गई 32 लाख रुपए की आकर्षक राशि को ध्यान में रखते हुए, जिसके पास आवेदन के अंतिम रूप से निपटारे तक खुद का भरण-पोषण करने के लिए कुछ आय भी है उसके आवारागर्दी और अभावग्रस्त होने की बहुत कम संभावना है। आवेदन के निपटारे तक उसके पक्ष में अंतरिम भरण-पोषण दिए जाने की आवश्यकता नहीं है।

    याचिकाकर्ता जो कि विपक्षी पक्ष का पति है, 30 अगस्त, 2024 को कलकत्ता के फैमिली कोर्ट के एडिशन प्रिंसिपल जज द्वारा विविध मामला नंबर 62/2023 में पारित आदेश से व्यथित था, जिसमें याचिकाकर्ता के विरुद्ध 25,000 रुपये की लागत के साथ विपक्षी पक्ष के अंतरिम भरण-पोषण के लिए प्रार्थना स्वीकार की गई और याचिकाकर्ता को आवेदन दाखिल करने की तिथि से 80,000 रुपये प्रति माह के हिसाब से अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

    याचिकाकर्ता के वकील ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 का हवाला दिया, जो दर्शाता है कि खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ पत्नी अपने पति से भरण-पोषण पाने की हकदार होगी, जो पर्याप्त साधन होने के बावजूद, उसे उपेक्षित करता है या भरण-पोषण करने से इनकार करता है।

    यह प्रस्तुत किया गया कि 15 फरवरी, 2022 को दोनों पक्षों के बीच समझौता ज्ञापन/समझौता हुआ, जिसमें याचिकाकर्ता ने विपक्षी पक्ष को 32 लाख रुपये का भुगतान करने और याचिकाकर्ता द्वारा उसके खिलाफ दायर आपराधिक मामले से बरी होने या आपराधिक मामला बंद होने के बाद 32 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करने का वचन दिया।

    वकील के अनुसार रुपये का भुगतान करने के बाद प्रतिवादी को 32 लाख रुपए देने के बाद उसने याचिकाकर्ता के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले को वापस लेने से इनकार कर दिया और समझौता ज्ञापन को छोड़ दिया गया।

    प्रतिवादी ने विविध मामला नंबर 62/2023 में मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर अपनी संपत्ति और देनदारियों के हलफनामे में याचिकाकर्ता से 32 लाख रुपए प्राप्त करने की बात स्वीकार की है।

    यह प्रस्तुत किया गया कि चूंकि याचिकाकर्ता ने समझौता ज्ञापन के अनुसार प्रतिवादी को 32 लाख रुपए का भुगतान किया। इसलिए उसे अपनी देखभाल करने में असमर्थ पत्नी नहीं कहा जा सकता।

    प्रतिवादी/पत्नी के वकील ने इस न्यायालय की समन्वय पीठों के आदेशों का हवाला देते हुए संकेत दिया कि यदि कोई आपसी समझौता नहीं हो पाता है तो पक्षकार आवेदन को चुनौती देने के लिए स्वतंत्र हैं।

    यह दलील दी गई कि भरण-पोषण की राशि उचित और यथार्थवादी होनी चाहिए, जिससे यह न तो इतनी अधिक हो कि प्रतिवादी के लिए दमनकारी और असहनीय हो जाए, न ही इतनी कम हो कि पत्नी को गरीबी में धकेल दे। भले ही पत्नी कमा रही हो, लेकिन अदालत को यह निर्धारित करना होगा कि क्या पत्नी की आय वैवाहिक घर में अपने पति की जीवनशैली के अनुसार खुद का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त है और भरण-पोषण का मतलब केवल जीवन-यापन नहीं माना जा सकता।

    वकील के अनुसार फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा उसे 32 लाख रुपये का भुगतान सहित सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रतिवादी के पक्ष में अंतरिम भरण-पोषण प्रदान किया। दोनों पक्षों के मामले पर विचार करने के बाद अदालत ने पाया कि पति से पहले ही बड़ी राशि प्राप्त करने के बाद पत्नी अब मासिक अंतरिम भरण-पोषण की हकदार नहीं है, क्योंकि वह खुद भी कमा रही थी।

    इस प्रकार इसने आदेश रद्द कर दिया। साथ ही पति पर लगाए गए खर्चों के भुगतान के निर्देश को भी रद्द कर दिया।

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