RG Kar दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग करने वाली अपील की स्वीकार्यता पर आदेश सुरक्षित
Amir Ahmad
27 Jan 2025 3:38 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट ने RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी संजय रॉय को दी गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ पश्चिम बंगाल राज्य और CBI की अपील की स्वीकार्यता पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।
सेशन कोर्ट द्वारा अपराध को दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आने और मृत्युदंड से इनकार करने के बाद दोनों अधिकारियों ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की।
CBI ने राज्य की अपील का इस आधार पर विरोध किया कि यह स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि जांच एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई थी। इसलिए केवल केंद्र सरकार ही आदेश के खिलाफ अपील को मंजूरी देने के लिए अधिकृत थी।
मामले की सुनवाई जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस एमडी शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने की।
राज्य के एडवोकेट जनरल ने दलील दी कि धारा 377 और 378 CrPC के तहत यह निर्धारित किया गया कि हालांकि केंद्र सरकार उन मामलों में आदेशों के खिलाफ अपील कर सकती है, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई थी, उपधारा 1 में "भी" शब्द की उपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया कि राज्य को ऐसे मामलों में अपील जारी रखने का भी अधिकार है।
यह दलील दी गई कि इस मामले में अपील सजा बढ़ाने के लिए थी और मामले की शुरुआत में राज्य पुलिस द्वारा जांच की गई। उसके बाद जांच को हाईकोर्ट द्वारा CBI को ट्रांसफर कर दी गई। इस प्रकार यह दलील दी गई कि चूंकि अभियोजन राज्य के नाम पर था और राज्य द्वारा शुरू किया गया, इसलिए राज्य भी अपील करने के लिए सक्षम होगा।
CBI की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने दलील दी कि मामला 13 अगस्त 2024 को CBI को ट्रांसफर कर दिया गया। उस तारीख के बाद सभी सामग्री और रिकॉर्ड CBI को सौंप दिए गए और राज्य के पास कुछ भी नहीं बचा।
यह प्रस्तुत किया गया कि यहां तक कि पूरा अभियोजन CBI और उसके द्वारा नियुक्त अभियोजक द्वारा किया गया और राज्य ने भी मुकदमे में भाग नहीं लेने का फैसला किया।
अंत में यह प्रस्तुत किया गया कि ऐसे मामलों में BNSS की धारा 418 के कारण राज्य उन मामलों में आदेशों के खिलाफ अपील नहीं कर सकता, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई और राज्य के लिए उपलब्ध एकमात्र उपाय एक पुनर्विचार याचिका दायर करना होगा।
तर्कों को सुनने के बाद पीठ ने सवाल किया कि अनुच्छेद 12 के दो अधिकारी जो समान सजा की मांग कर रहे थे, किसकी अपील स्वीकार की जानी चाहिए इस पर निर्णय लेने के लिए अदालत से क्यों संपर्क किया।
फिर भी सभी सामग्रियों को रिकॉर्ड पर लेने के बाद अदालत ने सुनवाई बंद कर दी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
केस टाइटल: पश्चिम बंगाल राज्य, एल.डी. लोक अभियोजक, उच्च न्यायालय, कलकत्ता बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो और अन्य

