अवैध कब्ज़ेदारों को कब्जे के दस्तावेज़ न होने के बावजूद बिजली का अधिकार: कलकत्ता हाईकोर्ट
Amir Ahmad
14 July 2025 1:03 PM IST

पोर्ट ब्लेयर स्थित कलकत्ता हाईकोर्ट की सर्किट बेंच ने फैसला सुनाया कि सरकारी राजस्व भूमि पर अवैध कब्ज़े वाले व्यक्ति को केवल संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (JERC) विनियम, 2018 के खंड 5.30 में सूचीबद्ध स्वामित्व या कब्जे के दस्तावेज़ प्रस्तुत न करने के आधार पर बिजली देने से वंचित नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा है कि यह खंड दस्तावेज़ी आवश्यकताओं को रेखांकित करता है लेकिन इसका उपयोग औपचारिक स्वामित्व के बिना भूमि पर कब्ज़ा करने वाले व्यक्तियों के लिए बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं को अवरुद्ध करने के लिए नहीं किया जा सकता।
पोर्ट ब्लेयर स्थित सर्किट बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस कृष्ण राव ने कहा,
"यह न्यायालय यह भी पाता है कि अवैध कब्जाधारी के लिए JERC विनियमन 2018 की धारा 5.30 के तहत आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त करना संभव नहीं है। प्राधिकरण ने अवैध कब्जाधारी को बिजली देने से रोकने के लिए ही नियम अधिसूचित करके प्रयास किया। इस प्रकार यह न्यायालय यह मानता है कि धारा 5.30 के तहत निर्धारित दस्तावेज़ उस अवैध कब्जाधारी द्वारा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, जिसने सरकारी राजस्व भूमि पर घर बनाया।"
यह निर्णय याचिकाकर्ता कृष्णावती द्वारा दायर रिट याचिका पर दिया गया, जिसमें असिस्टेंट इंजीनियर-II (मुख्यालय), विद्युत विभाग द्वारा पारित उस आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की गई, जिसमें सरकारी राजस्व भूमि में विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। साथ ही याचिकाकर्ता को अतिक्रमित भूमि के संबंध में नए विद्युत कनेक्शन के लिए नया आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी गई थी, बशर्ते कि वह जेईआरसी विनियमन, 2018 के खंड 5.30 और अंडमान एवं निकोबार द्वीप प्रशासन परिपत्र दिनांक 19.10.2023 के तहत अनिवार्य सभी शर्तों और आवश्यकताओं का अनुपालन करे, क्योंकि विद्युत विभाग ने अतिक्रमणकारियों सहित आम जनता को नया विद्युत कनेक्शन प्रदान करते समय उपरोक्त विनियमों और परिपत्र पर भरोसा किया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि प्रारंभ में याचिकाकर्ता ने सभी दस्तावेजों का खुलासा करते हुए 24.06.2024 को संबंधित प्राधिकारी के समक्ष आवेदन दायर किया था। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह उक्त भूमि पर बिना विद्युत कनेक्शन के रह रही है, लेकिन प्राधिकारियों ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने जून, 2024 में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। अपने पास मौजूद सभी दस्तावेज़ भी उपलब्ध कराए। वह सरकारी राजस्व भूमि पर बने एक घर में रहती है लेकिन बिजली के बिना रह रही है। उसका आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि वह धारा 5.30 के तहत आवश्यक दस्तावेज़ों को पूरा करने में विफल रही है।
बिजली विभाग की ओर से पेश हुए एडवोकेट एस.सी. मिश्रा ने दलील दी कि जेईआरसी विनियमन, 2018 की धारा 5.30 के अनुसार याचिकाकर्ता को दस्तावेज़ उपलब्ध कराने थे लेकिन वह धारा 5.30 के तहत दिए गए दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में विफल रही। इस प्रकार, असिस्टेंट इंजीनियर ने उसका दावा खारिज कर दिया।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा,
"वर्तमान मामले में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता संबंधित परिसर में नहीं रह रहा है। बिजली कनेक्शन देने से इनकार इसलिए किया गया, क्योंकि याचिकाकर्ता ने जेईआरसी विनियमन, 2018 की धारा 5.30 के तहत आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। इसी तरह के मुद्दे पर इस न्यायालय की समन्वय पीठ ने WPA/213/2025 में विचार किया था, जिसमें इस न्यायालय ने माना था कि धारा 5.30 किसी भी तरह से अधिभोगी के बिजली कनेक्शन प्राप्त करने के अधिकार को बाधित नहीं करता है।"
तदनुसार, असिस्टेंट इंजीनियर-II (मुख्यालय) द्वारा पारित विवादित आदेश न्यायालय ने रद्द कर दिया। असिस्टेंट इंजीनियर-II (मुख्यालय), विद्युत विभाग को निर्देश दिया गया कि वह सभी औपचारिकताओं का पालन करते हुए इस आदेश की प्राप्ति की तिथि से चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को बिजली कनेक्शन प्रदान करें।
केस टाइटल: कृष्णावती बनाम भारत संघ एवं अन्य

