कलकत्ता हाईकोर्ट ने 'द बंगाल फाइल्स' में स्वतंत्रता सेनानी गोपाल पाठा की आपत्तिजनक छवि को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
Amir Ahmad
8 Sept 2025 3:53 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार (8 सितंबर) को स्वतंत्रता सेनानी गोपाल चंद्र मुखर्जी उर्फ़ गोपाल पाठा के पोते द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' में उनके दादा की कथित रूप से अपमानजनक छवि दिखाए जाने का आरोप लगाया गया था।
जस्टिस अमृता सिन्हा ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने RTI Act के तहत कुछ सूचनाएं मांगी थीं, लेकिन निर्धारित समय सीमा में उत्तर न मिलने पर उचित उपाय अपनाने की बजाय सीधे रिट याचिका दायर कर दी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस आधार पर दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसे खारिज किया जाता है।
हालांकि, याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार सक्षम मंच से राहत पाने की स्वतंत्रता दी गई।
फिल्म निर्माताओं का पक्ष
फिल्म निर्माता व निर्देशक की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिका शनिवार को ही उनके मुवक्किलों को सौंपी गई थी। वह रविवार शाम को नियुक्त हुए। उन्होंने दलील दी कि फिल्म पहले ही रिलीज़ हो चुकी है, इसलिए याचिका निरर्थक हो गई है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की ओर से कहा गया कि सूचना RTI के तहत मांगी गई थी और समयसीमा बीत चुकी है। यदि उत्तर नहीं मिला तो याचिकाकर्ता के पास अपील का विकल्प उपलब्ध था।
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने पुलिस, CBFC और यहां तक कि निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को भी कई बार पत्र भेजे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि फिल्म में उनके दादा की छवि को जानबूझकर धूमिल किया गया।
मामला
याचिकाकर्ता सन्तानु मुखर्जी ने दावा किया कि उन्होंने 18 जुलाई और 23 अगस्त, 2025 को बउबाजार थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। इसके अलावा, 12 अगस्त को CBFC को RTI भी भेजा गया था, जिसका अब तक कोई उत्तर नहीं मिला।
उन्होंने अदालत से मांग की थी कि CBFC यह बताए कि फिल्म का मूल्यांकन किन मानकों के तहत हुआ और विवेक अग्निहोत्री की इसमें क्या भूमिका रही।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि विवेक अग्निहोत्री को CBFC के मुंबई बोर्ड सदस्य पद से अस्थायी रूप से हटाया जाए ताकि जांच निष्पक्ष हो सके। साथ ही, यूट्यूब व अन्य सोशल मीडिया से उन सामग्रियों को हटाने की भी मांग की गई, जिनसे परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है।
कोर्ट ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को अब भी कोई शिकायत है तो वे कानून के तहत उपलब्ध अपील प्रक्रिया या अन्य उपयुक्त मंच का सहारा ले सकते हैं।
टाइटल : सन्तानु मुखर्जी बनाम भारत संघ एवं अन्य (WPA/20884/2025)

