कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी और आनंद बोस से मानहानि मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने को कहा
Amir Ahmad
7 March 2025 8:37 AM

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दायर मानहानि मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण राव की पीठ ने पक्षों को सौहार्दपूर्ण ढंग से विवाद को निपटाने का सुझाव दिया, क्योंकि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच हाईकोर्ट के समक्ष कानूनी लड़ाई वांछनीय नहीं होगी।
पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"राज्यपाल और मुख्यमंत्री का न्यायालय के समक्ष लड़ना, यह ठीक नहीं है। न्यायालय को केवल वादियों के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।"
पीठ ने मौखिक रूप से सुझाव दिया कि पक्षकार चर्चा के बाद न्यायालय के बाहर अपने विवादों को सुलझा लें, लेकिन वकील से कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वह इस आशय का लिखित आदेश भी पारित करेंगे।
इस सुझाव को बनर्जी के वकीलों सीनियर एडवोकेट एस.एन. मुखर्जी और कल्याण बनर्जी ने स्वीकार कर लिया।
बनर्जी ने कहा,
"राजनीति में व्यक्ति को मोटी चमड़ी विकसित करनी चाहिए उसे बहुत संवेदनशील नहीं होना चाहिए।"
राज्यपाल की ओर से पेश हुए डीएसजी धीरज त्रिवेदी ने मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की, जिस पर पीठ ने टिप्पणी की कि क्या वह मामले को आगे बढ़ाने के लिए गंभीर हैं। समय बढ़ाने की अनुमति देते हुए इसने त्रिवेदी को मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का प्रयास करने का सुझाव दिया और डीएसजी ने जवाब दिया कि वह ऐसा करने का प्रयास करेंगे।
तदनुसार, मामले को 9 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए रखा गया।
पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह याचिका मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल के खिलाफ कथित तौर पर की गई टिप्पणी के बाद आई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं ने उन्हें बताया है कि राजभवन की एक पूर्व कर्मचारी द्वारा राज्यपाल के खिलाफ हाल ही में लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के कारण वे राजभवन में जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा था,
"महिलाओं ने मुझे सूचित किया कि हाल ही में वहां हुई घटनाओं के कारण वे राजभवन जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं।"
जवाब में राज्यपाल ने कथित तौर पर कहा कि मुख्यमंत्री जैसे उच्च पदों पर बैठे लोगों को गलत और निंदनीय टिप्पणियां करने से बचना चाहिए।
केस टाइटल: डॉ. सी.वी. आनंद बोस बनाम सुश्री ममता बनर्जी और अन्य।