बेलडांगा सांप्रदायिक हिंसा | धार्मिक मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने के आरोप साबित नहीं हुए, स्थिति नियंत्रण में: कलकत्ता हाईकोर्ट ने BSF, DM की रिपोर्ट दर्ज की
Amir Ahmad
3 Dec 2024 11:16 AM IST
मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने इलाके में जमीनी हालात पर BSF और DIG से संयुक्त रिपोर्ट मांगी थी, क्योंकि याचिका में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की बात कही गई थी।
जस्टिस हरीश टंडन और हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पाया कि एक खास समुदाय की धार्मिक मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से सांप्रदायिक हिंसा के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी। कोर्ट ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में इलाके में मौजूदा सामान्य स्थिति का उल्लेख किया गया। राज्य को जमीनी हालात पर नजर रखने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा,
"उक्त रिपोर्टों को देखने के बाद यह न्यायालय पाता है कि मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा और आस-पास के इलाकों में कथित तौर पर हुई घटनाओं के कारण कुछ संपत्तियों और वाहनों को नुकसान पहुँचा है। मूर्तियों को नुकसान पहुँचाने के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी। मुर्शिदाबाद के जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट से पता चलता है कि इंटरनेट सेवाएँ बहाल कर दी गई। स्कूल और शैक्षणिक संस्थान तथा व्यवसाय और बाज़ार सामान्य हो गए। मड्डा और बेगुनबारी ग्राम पंचायत और बेलडांगा नगर पालिका में पुलिस पिकेट हैं और उन जगहों पर स्थिति सामान्य है।"
न्यायालय ने आगे कहा कि DM और DIG, BSF दोनों ने खुलासा किया कि क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है। यह क्षेत्र एक सीमावर्ती शहर है, इसलिए BSF कर्मियों की तीन टुकड़ियाँ बेलडांगा के बाहर आस-पास के इलाकों में निगरानी बनाए रखने के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने और त्वरित और उचित कदम उठाने के लिए तैनात की गई थीं।
एडवोकेट जनरल ने कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए कि शांति भंग न हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को भी यथासंभव शीघ्रता से उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाया जाना चाहिए।
तदनुसार क्षेत्र में सामान्य स्थिति को देखते हुए अदालत ने कहा कि राज्य को रिट याचिका में आरोपों से निपटने का अवसर दिया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए उसे हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
टाइटल: संजुक्ता सामंता बनाम भारत संघ और अन्य।