आधार कार्डों को अचानक निष्क्रिय करने के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को कलकत्ता हाइकोर्ट में चुनौती

Amir Ahmad

8 March 2024 12:05 PM GMT

  • आधार कार्डों को अचानक निष्क्रिय करने के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को कलकत्ता हाइकोर्ट में चुनौती

    कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका में कुछ नागरिकों के आधार कार्डों को अचानक निष्क्रिय करने के संदर्भ में आधार अधिनियम (Adhaar Act) की धारा 28ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई।

    चीफ जस्टिस टीएस शिवगणम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने उक्त याचिका पर सुनवाई की।

    याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया गया कि ऐसे कई प्रभावित निवासी हैं, जिनके आधार कार्ड बिना कोई नोटिस दिए निष्क्रिय कर दिए गए। यह तर्क दिया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे को उठाते हुए PMO को भी पत्र लिखा।

    यह तर्क दिया गया,

    "आधार विशालकाय चीज़ है। आधार के बिना किसी का जन्म नहीं हो सकता, क्योंकि यह बर्थ सर्टिफिकेट लिए आवश्यक है। कोई भी आधार के बिना मर नहीं सकता है। आपको अंतिम संस्कार के लिए चिता पर नहीं भेजा जा सकता, या डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिल सकता है। हमारा जीवन आधार का मैट्रिक्स आपस में जुड़ा हुआ है।”

    वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के खिलाफ मंच है, जो नागरिकता रद्द करने आदि से संबंधित मुद्दों पर काम करते हैं।

    यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता को बिना किसी सूचना के इन निष्क्रियताओं के बारे में सूचित करने वाला संचार प्राप्त हुआ था, जिससे यह एक गंभीर मामला बन गया।

    यह प्रस्तुत किया गया कि यह असंवैधानिक और मनमाना है। आधार अधिनियम की धारा 28ए पासपोर्ट अधिनियम के तहत विदेशियों से संबंधित है।

    यह प्रस्तुत किया गया कि यह धारा अधिनियम के तहत प्राधिकारी को यह तय करने की बेलगाम शक्ति देती है कि कौन विदेशी है उसका आधार कार्ड निष्क्रिय किया जाए।

    यह भी बताया गया कि अन्य समन्वय पीठ ने आधार कार्डों के इस तरह स्वत: निष्क्रिय होने पर रोक लगा दी।

    एएसजी अशोक चक्रवर्ती ने कहा कि याचिका में आधार अधिनियम की धारा 28ए को चुनौती देने की मांग की गई, इसलिए मामले में अटॉर्नी जनरल की सेवा लेनी होगी।

    यह तर्क दिया गया कि एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित मामले में कुछ बांग्लादेशी नागरिकों को अनाधिकृत रूप से आधार कार्ड प्राप्त करने का मुद्दा है।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि धारा 28ए को 2016 के आधार नियमों में शामिल नहीं किया गया, लेकिन बाद में इसे 2023 में शामिल किया गया।

    तदनुसार पीठ ने प्रभावी सेवा प्रदान करने का निर्देश दिया और मामले को 21 मार्च 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    केस टाइटल- फोरम अगेंस्ट एनआरसी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

    केस नंबर- डब्ल्यूपीए(पी) 112/2024

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